Book Title: Pathikvagga Tika
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 312
________________ [म-म] भण्डनं - ७८ भतो - १२६ भद्दकन्ति - २०८ भद्दजित्थे - ३१ भन्तेति - ५९, २०४ भयन्ति - १२४, १२६ भयं - ९६, ९८, १२२, १२६, १६३, २३४ भवङ्ग - १५६ भवतण्हाति - १६८ भवदिट्ठसहगतो - २१५ भवदिट्ठीति - १५४ भवनिरोधं - १६९ भवरागमलं - २२१ भवरागोति - २१५ भवसंयोजनं - ३६ भवासवो- - १७० भवो - १५४, २१२ भस्सतीति - ३३ भस्ससमाचारेति - ६७ भारतयुद्धसीताहरणसदिसन्ति - ८५ भारा - ३६ भावना - १६२, १८०, १८९, २४९, २६१ भावनाचित्तेन - २३९ भावनाति - १६४ भावनानयो - १८० भावनानुयोगक्खणे - २१२ भावनानुयोगसम्पत्तिया - १४८ भावनानुयोगो - २२० भावनापञ्ञति - १८७ भावनाबलेनाति - १०६ भावनामनसिकारलक्खणं - १७ भावनारामअरियवंसं - २०५, २०६ भावनारामोति - २०६ भावनावीथिपटिपन्नं - १६२ भासतीति - ६८, १२३ भिक्खुभावन्ति- ३३ Jain Education International सद्दानुक्कमणिका भिक्खूति - भिन्नपो - ७८ भिय्योकम्यताति- १६३ भय्योभिञ्ञो - ५३ भूतताति - २३२ - २४७ भूतधम्मोति - १९३ भूतोति - ३८, १३६ भेदकरवाचन्ति - ६७ भेरण्डो - ९ भोगवासिनी - २४० भोगका - ९७ भोजका - ९७ भोजनतण्हाय - ५ भोजनन्ति - १३९ भोजने मत्तञ्जू - ६८ भोवादिनोति - २४४ मक्खिकण्डकरहितन्ति - ३९ मक्खेतीति - ९९,२०४, २२६ मक्खत्वा - ९९ मग्गकिच्चदस्सनं - ८७ मग्गगामिनो - १४ मग्गञाणन्ति - २०८ मग्गधम्मानं - २५८ मग्गपञ्ञा - १६३, २०८, २३० मग्गफलत्राणं - २०९ मग्गब्रह्मचरियवासं - ३६, १३५ मग्गभावना - १६२ मग्गमूलं - ३७ मग्गसमाधिस्स - १८८ मग्गसम्मादिट्ठि - ४६, १८८, २३१ मग्गामग्गे - २५९ मग्गोति- ५७ मङ्गलकथा - १४४ 23 For Private & Personal Use Only [२३] www.jainelibrary.org

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