Book Title: Pashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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एतस्मादभयं देयं श्राद्धकाले विजानता अभयस्य प्रदातारो भयं विंदन्ति न क्वचित् ॥ ६॥ जन्ममत्युभयाभावादभयं मोक्ष उच्यते मोक्षमेव नरो याति प्राणिनामभय प्रदः॥ ७ ॥
श्राद्धमधिकृत्य ब्रह्मवैवर्ते जीवितस्यप्रदानाद्धि नान्यदानं विशिष्यते तस्मात् सर्वप्रयत्नेन देयं प्राणाभिरक्षणम् ॥ १॥
अहिंसा सर्वदेवत्यं पवित्रं सर्वपावनम् ॥ इत्यादि बहु वचनो छे. जो तेवो अवकाश मले तो मोटा निबंधो लखाय.
(१) सम्मतिरत्रार्थ काशीशेष वेङ्कटाचल शास्त्रिणः (२) सम्मतिरत्रार्थे वालजी तनुज क्षेमजीशास्त्रिणः (३) सम्मतिरत्रार्थे मुकुन्दात्मभुवोज्येष्टारारामशर्मणः ॥ (४) सम्मतिरत्रार्थे पुरुषोत्तमात्मजशास्त्री जयकृष्णशर्मणः (५) सम्मतिरत्रार्थे हरजितात्मज भगवच्छर्मणः (६) सम्मतिरत्रार्थे नथ्वंगज मुरारिशर्मणः ॥
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