Book Title: Paia Lacchinammala
Author(s): Dhanpal Mahakavi, Bechardas Doshi
Publisher: R C H Barad & Co Mumbai

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Page 74
________________ ४९६-उल्लेरिअं उक्कै डिअं। ४९७-जिंघि ओसिंधिअंच अग्घायं । ४९८-निविटं उवैहुत्तं । ४९९-तिरोहिंअं पिहिअं अंतरिकं ॥१७७ ५००-उद्दोलिअं अच्छिन्नं । ५०१-अवित्तं अंछिअंच कड्ढिअयं। ५०२-पन्नोडिअयं परिहैट्टि च । ५०३-ओसरिअं ओसैकं ॥१७८ ५०४-उत्थल्लिअं उच्छलिअं। ५०५-पच्छोइअ-नूमिओई वइआँई । ५०६-निद्धोडिअयं नीणिों । ५०७-ओहीरतं च सीअंतं ॥१७९ ५०८-उन्नोलिअं उन्नामि।५०९-उवगयं उसदिअंच अल्लीणं । ५१०-चुण्णइअं चुण्णांहयं । ५११-उचिंडिमं मुकमज्जायं ॥१८० ५१२-उद्धंक यं ऊसवि। ५१३-फुडिअंफुलिंअंच दलिअंउद्धरिौं। ५१४- संवेल्लिअं मउलिंअं । ५१५- परिहायं दुबैलं झीणें ॥१८१ ५१६-मुसुमूरिअयं चुण्णिा५१७-उड्डिडिअ-उकैखोडिआई उखितं । ५१८- मुरमुरिअं अं । ५१९- उन्नुइअं अॅकिअं जाण ॥१८२ ५२०- अवैचिअंउचिणिअ-ऽत्थे। ५२१ तंडिअंतड्डेविअयं विरैल्लिअयं । ५२२-उव्वमिअं उग्गिंलिअं । ५२३-छुहोइअं भुवि छाँयं ।।१८३ ४९६ तोडा हुआ २ । ४९७ सुंघा हुआ ३ । ४९८ उपभुक्त २ । ४९९ पिहित-ढका हुआ ३ । ५०० फाडा हुआ २ । ५०१ आक्षिप्त-खिंचा हुआ ३ । ५०२ दबाया हुआ २ । ५०३ पीछे हटा हुआ २ । ५०४ ऊछला हुआ २ । ५०५ वाडसे ढका हुआ ३ । ५०६ बहार निकाला हुआ २ । ५०७ सोया हुआ २ । ५०८ नमाया हुआ २ । ५०९ उपगत-पासमें आया हुआ-आश्रित ३ । ५१० चूर्ण किया हुआ २ । ५११ मर्यादारहित २ । ५१२ ऊंचा किया हुआ २ । ५१३ स्फुटित-खिला हुआ ४ । ५१४ संवेष्टित २ । ५१५ क्षीण ३ । ५१६ चूरा किया हुआ २ । ५१७ उत्क्षिप्त ३ । ५१८ कामचिंता-उत्सुकता २ । ५१९ कुत्ते का भोंकना २ । ५२० अपचित २ । ५२१ विस्तीर्ण-तना हुआ ३ । ५२२ उद्वमित २ । ५२३ क्षुधात ३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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