Book Title: Paia Lacchinammala
Author(s): Dhanpal Mahakavi, Bechardas Doshi
Publisher: R C H Barad & Co Mumbai

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Page 78
________________ ર૭ ६०६-ओऊलं पलिंबं । ६०७-हरिअंदणं अमरचंदणं जाण । ६०८-जच्चतुरंगं भायलं । ६०९-आयावलयं अरुणैतावं ॥२०५ ६१०-सीमंतिअं दुहाविअं। ६११-अपच्छिमं चरमं । ६१२-उद्धरं उच्चं। ६१३-वायणयं च पहेणेयं । ६१४-इंगोली उच्छगंडीरी ॥२०६ ६१५-विसर्ट विसमा६१६ वियलिअंउच्चत्ता६१७-कत्तिय-आसिणासरेओ। ६१८-सिसिरो फग्गुण-माहो। ६१९-हेमंतो पोस-मग्गसिरो ॥२०७ ६२०-दुप्परियल्लं असेकं । ६२१-पुकाओ अलिअपोरसौलावा । ६२२-पुंजोयं पिंडलइअं। ६२३-उऊ रिऊँ। ६२४-चोत्तओ तोत्तो॥२०८ ६२५-उवयारो पुप्फैबली । ६२६-कुसुमं कालिंजणीए तोविच्छं । ६२७-जवसं गवित्तं । ६२८-उलवी वीरेणं । ६२९-ओलोवओ सेणी॥२०९ ६३०-अग्गक्खंधो अणिों। ६३१-पाडुच्ची तुरयदेहपिंजरणं । ६३२- गरेलं विसं । ६३३-विसाणं सिंगं । ६३४-रज्जे वरत्ता य ॥२१० ६०६ प्रालंब-झूमणा २ । ६०७ हरिचंदन २ । ६०८ उत्तम घोडा २ । ६०९ अरुणताप-अरुणोदय २ । ६१० सिर के बालो में दो भाग किया हुआ २ । ६११ अंतिम २ । ६१२ ऊँचा २। ६१३ वायणा-भोजन का बांटनावारी वारी से भोजन के लिए जाना २ । ६१४ इख की गंडेरी २ । ६१५ विषम २। ६१६ उत्त्यक्त २ । ६१७ शरद-कार्तिक और आसो १ । ६१८ शिशिर-फागुण और महा मास १ । ६१९ हेमंत-पोस और मिगसिर १ । ६२० अशक्त २ । ६२१ पौरुष का मिथ्या घमंड-झूठा पुरुषपणे का आलापपोक मूकना २ । ६२२ पुंज-ढिग २ । ६२३ ऋतु २ । ६२४ हांकने के लिए बैल को मारने की आर वाली लाठी २ । ६२५ उपचार-पुष्प का बलि चढ़ाना-पुष्पपूजा २ । ६२६ तापिच्छ-तमाल के पेड का फूल १ । ६२७ गवत-पशु का खाद्य घास-खाण २ । ६२८ वीरण-पानी को ठंडा और सुगंधी करने वाला घास २ । ६२९ श्येन २ । ६३० अनीक-सेना २। ६३१ घोडे के शरीर का शृंगार १ । ६३२ विष २ । ६३३ सिंग २ । ६३४ रस्सीबैलों द्वारा कुंआ से पानी निकालने की रस्सी-बरत २ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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