Book Title: Padma Pushpa Ki Amar Saurabh
Author(s): Varunmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 9
________________ प्रकाशकीय शास्त्रों में मनुष्य-जीवन की महिमा का खूब बखान किया गया है। इस जीवन को देवताओं के लिए दुर्लभ व संसार में सर्वोत्तम सर्वश्रेष्ठ माना है। मानव-जीवन की श्रेष्ठता का कारण यह है कि मानव एक विवेकशील पुरुषार्थी प्राणी है। वह अपने विवेक से धर्म की पहचान करता है और पुरुषार्थ द्वारा धर्म को जीवन में उतारकर आत्मा में सुप्त परमात्मा को जगा सकता है। मानव जीवन को सफल और सार्थक बनाने के जो महान् साधन माने गये हैं उनमें से छह मुख्य साधनों पर इस पुस्तक में विस्तार के साथ प्रकाश डाला गया है। उत्तर भारतीय प्रवर्तक भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी महाराज के शिष्यरत्न जैन आगमों व जैन साहित्य के विद्वान् प्रवर्तक श्री अमर मुनि जी महाराज के मार्गदर्शन एवं सुयोग्य नेतृत्व में उनके सुशिष्य श्री वरुण मुनि जी ने उन छह कारणों पर बहुत ही सुन्दर शैली में रोचक वर्णन किया है। मुनिश्री की शैली इतनी रोचक है कि पढ़ने वालों को इसमें शोध निबन्ध, ललित निबन्ध, प्रवचन और उपन्यास जैसा अनेक रूप मिश्रित स्वाद आयेगा और पढ़ने वाला उकतायेगा नहीं, यही तो सफल लेखन की विशेषता है। गुरुदेव श्री अमर मुनि जी महाराज की प्रेरणा से उनके शिष्य लेखन, प्रवचन, गायन आदि कलाओं में निष्णात होकर साहित्य क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। यह हम सब के लिये प्रसन्नता और गौरव की बात है। हम चाहते हैं हमारी संस्था जहाँ सचित्र आगम-प्रकाशन की योजना में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रही है वहीं पर इस प्रकार का रुचिकर और सर्व साधारण जन-उपयोगी साहित्य भी प्रकाशित कर रही है जिससे सभी पाठक लाभ उठायेंगे। इस प्रकाशन में उदारतापूर्वक सहयोग देने वाले गुरुभक्त बन्धुओं को हम हार्दिक धन्यवाद देते हैं। - अध्यक्ष पद्म प्रकाशन नरेला मण्डी, दिल्ली ... (३)

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