Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 6 Author(s): P Piterson Publisher: Royal Asiatic SocietyPage 60
________________ PURCHASED FOR GOVERNMENT. 25 द्वितीयमुन्मीलनं संपूर्णम् । श्रीसौन्दर्यलहरीस्तोत्रटीका संपूर्णा । श्रीरस्तु ॥ शुभं भवतु ॥ No. 326. Kamasara, by KA MADEVA कामसार:-कामदेवः]. Begins: रतिपरिमलसिन्धुः कामिनीककिबन्धुविदितभवनमोदः सेव्यमानप्रमोदः । जयात मकरकेतुर्मोहनस्यैकहेतुविरचितवह [बहु] सेवः कामिनीकामदेवः ॥ १ ॥ पद्मिनी चित्रिणी चैव संखनी हस्तिनी तथा ।। शशो मृगो वृषोऽश्वश्च स्त्रीपुंसोर्जातिरीरिता ॥ २ ॥ Ends: एतान्बन्धान परिज्ञाय मुखमासादयेत्पराम् । नारीणां दर्पसंघातं बन्धं कुर्यात्प्रियंवदः ॥ ४१ ।। इति श्रीकामदेवविरचिते कामसारे आसनबन्धनानिरूपणं संपूर्णम् ॥ No. 327. Kavyakalpalatavritti, by S'UBHAVIJAYAGANI [काव्यकल्पलतावृत्तिमकरन्दः-शुभविजयगणिः]. Ends: पुण्यनरदृष्टचन्द्रा एते सहस्रमिता इत्यादि । इति श्रीतपागच्छाधिनायकपातिसाहिश्रीअकब्बरप्रतिबोधदायकश्रीशत्रुजयादितीर्थकरमुक्तिकारकभट्टारकश्रीहीरविजयसूरीश्वरशिष्यपण्डितश्रीशुभाव. जयगणिविरचिते काव्यकल्पलतावृत्तिमकरन्देऽर्थसिद्धिप्रतानप्राप्तसंख्यासूचकोद्योतकः षष्ठः प्रसरः। - - - स्वस्ति श्रीमत्तपागच्छस्वगिंगच्छनवाम्बुदाः । अनेकसत्त्वसम्यकूत्वप्रतिलम्भैकलग्नकाः ॥ १ ॥ B417-4Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179