Book Title: Ogh Niryukti
Author(s): Bhadrabahuswami, Gyansagarsuri, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 460
________________ परिशिष्ट १० नियुक्ति रगाथाः ४४२॥ सागार संवरणं ठाणतियं परिह रित्तु णावाए । ठाई णमुरका तीरे “जयणा इमा होई ॥१०॥ [७२] तिविहो वणस्सई खलु परित्तणतो थिराथिरिक्किको । संजोगा जह हिट्ठा अक्कंताई तहेव इहं ॥११॥ [७] तिविहा बेइंदिया खलु थिरसंघयणे घराणो दुविहा । अवकंताई य गमा जाव उ पंचिंदिया णेगा .१२॥ [७७] पुढविदए य पुढवीए उदए पुढषि तस वाल कंटा य । पुढवि वणस्सईकाए ते चेव उ पुढ विए कमणं ।।१३।। [७८] पुढवि तसे तसरहिए निरंतर तसे सु पुढवीए चेव । आउ वणरसई काए णेण णियमा वणं उदए ॥१४।। [७९] तेऊ वारविहगा एवं सेवावि सव्यसंमोगा । णच्चा विराहणदुगं बजतो जयसु उवउत्तो ।१५॥ [८.] सव्वत्थ संजमं संजमाओ अप्पाणमेव रक्खेतो । मुच्चई अइवायाओ पुगो विसोही ण याविरई ॥१६॥ [८१] जे जनिआ य हेऊ भवस्स ते चेव तत्तिया मुक्खे । गणणाईया लोगा दुण्ह वि पुण्णा भवे तुल्ला ॥१७॥ [८७] इरियावहियाईया जे चे हवंति कम्मबंधाय । अजयाण ते चेव उ जयाण णिव्यागगमणाय ॥१८॥ [८८] वज्जेमित्ति परिणओ संपत्तीए वि मुच्चए वेरा । अवहंतो ण वि ण मुच्चई किलिट्ठभावो अइवायस्स (त्ति वा तस्स) ।।१९।। [४] गामदुवारबभासे अगडसमीवे महाणमो वा । पुच्छिज्ज सयं पक्ख वियालणे तस्स परिकहणा ।।२०।। [१००] जह सागरमि मीणा संखोहं सागरस्स असता । णिति तओ सुहकामी णिग्गयमित्ता विणस्सति ।।२१॥ [१८२] एवं गच्छा मुद्दे सारणवीईहि चोईया संता । मिति तओ सुहकामी मीणा व जहा विणम्संति ॥२२॥ [१८३] ॥४४२॥ Jain Education For Private & Personal use only . www.jainelibrary.org

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