Book Title: Ogh Niryukti
Author(s): Bhadrabahuswami, Gyansagarsuri, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 473
________________ अशुद्धम् शुद्ध पत्रम् पंक्तिः | अशुम् शुद्धम् पत्रम् पंक्तिः १५९ 3 शुद्धिपत्रकम् । __ श्रीमती माघनियुक्तिः। ॥४५५।। खाड १२२ १२२ १२३ दर्शयन्ति भङ्गा यावसिका गच्छन्ति कोड दृष्टान्तो खग्गड गच्छान्न काइ दर्शनाया गीता (२९८ गादा. प्रविशान्त स्तता wr82. दंशयन्ति भङ्ग (जाव सिया) हपान्ता चउद्दस धीरायां हस्ता घड पंचिदिएहिं गुत्तो त्रिविध बैशाख. uru १४ CNG. चउद्दिस वीरायां हस्तो घड पंचिदिएहिं १८८ १९२ दर्शनीया गीतार्थो २८७ गाथा. মৰিহানি स्ततो व्याप्य तमगाथायाम् रात्री ३३२ प्रसिद्धौ १९४ १४. १४१ जाप्य त्रिविध वैशाख मगायायाम् रामा १५० १५२ १५५ कर प्रसिद्धा कायिका कायिकी भूता धातोऽपि पाते तो घातोऽपि आपाते ॥४५५।। जिना जिनो २१६ Jain Education international For Privale & Personal use only www.jainelibrary.org

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