Book Title: Ogh Niryukti
Author(s): Bhadrabahuswami, Gyansagarsuri, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 475
________________ अशुद्धम् पंक्तिः पत्रम् अचम् अशुद्धम् पत्रम् शुद्धम् पंक्तिः शुद्धिपपत्रकम्। श्रीमती पिनियुक्तिः ॥४५७॥ शुद्धम् वक्खिचे णियय, करेह श्रुत प्येषां दुष्प्रवेशे ३२६ . .. ३३० अवविखते णियय करेह, श्रत प्येवां •ई प्रवेशे शष दाच्चग भाकतृणां ०कमाद अप्रतकि दाने आञ्चय शेष दोच्चंग ३५५ ३५७ भोक्तृणाम् कमदि अप्रतर्कितदाने अच्चिय प्रपेक्ष्य प्रत्युपेक्ष्य ३७३ स्तम्भादा स्तम्भादौ इन्द्रियाणां ३७६ पथिकी पथिकी ३७९ • पुफिय • पुफिय ३७९ प्रमार्जयन प्रविशति प्रमाण यन् ३८१ प्रविशति ससंचारा ससंचारौ ३९२ त्योघा. त्यांघो० ३९२ जणाण जिणाण • क्रमा, द्रष्टव्याके क्रमाके द्रष्टव्या ३९३ मतआ सच्चेक तच्चक तिष्ठान प्रतिष्ठान ३९८ . ३५८ हाइ मत्तओ चरमे वासिरह दावहा • चस्मेषु वोसिरद दुविहा AWAB AMBABAR ते, ॥४५७॥ तता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494