Book Title: Ogh Niryukti
Author(s): Bhadrabahuswami, Gyansagarsuri,
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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मूल
पत्र
मूल
अर्थ
श्रीमती पिनियुक्तिः। ॥४६॥
परिशिष्ट-२
कृत्तिः अनन्तकं डेवनं नितम्बः
खग्गूडः उद्धंसनं रोधः विनिपातः संखडिः
शठः आक्रोशकरणं गमनव्याघातः
व्रजः
अर्थ चमे कम्बलादिवत्र लङ्घनं पर्वतैकदेशो वननिकुञ्जो वा भङ्गः (प्रकार:) विसदृशता वन्दनक पुरी प्रवचनोपदेशपर्वक कर्कशभणनं प्रतिपालन नीरसं
गमः विधुरता कृतिकर्म छगं खरण्टणं
भोजनकरणं, प्रकरणं गोकुल श्रावकः काग्जिकं, उदक
सज्झी (संज्ञी)
६७
प्रभूतं
+पड्डच्छिक्षीर
क्षण:
प्रतीक्षण प्रान्तं
पारिहट्टिक्षीर उत्सव दर्शनकरणं साधुखेदज्ञं
पश्यता 'ओयविय"
७३
॥४६०॥
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