Book Title: Ogh Niryukti
Author(s): Bhadrabahuswami, Gyansagarsuri, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 464
________________ परिशिष्ट १ गोपनियुक्तिद्वारगाथा: ॥४४६।। वित्थिण्णे दुग्मोगाढे णापण्णे बिलव डिजए । तसपाणबीअरहिए उच्चाराईणि वोसिरे ॥५२॥ [४९४] आया-पवयण-संजम तिविहमुवघाइयं ग्धाइयं ) तु णायव्वं । आराम वच्च अगणी पिट्टण असुई य अण्णत्थ ॥५३॥ [४९६] जे जम्मि उमि कया पयावण, ईहि थंडिला ते उ । हंति अन्नंमि (होति परंमि) चिरकया वासा वुच्छे य बारसगं ।.५४॥ [४९८] इत्थायाम चउरस्स जहन्नं जोयणे बिछक्कि परं। चउरंगुलप्पमाणं जहण्णयं दूरमोगाई ॥५५॥ [४९९] दिसि-पवण-गाम-मूरिअ छायाह ए) पमज्जिऊण तिरक्खुत्तो। जस्सोग्गहोत्ति काऊणं वोसिरे आयमि (मे) जो वा ॥५६॥ [५०२] उत्तर पुव्वा पुज्जा जम्माए मिसिअरा अहिवडं ति । घाणाऽरिसा य पवणे सूरीअगामे अवण्णे अ (उ) ॥५७॥[५०३] संसत्तग्गहणी पुण छायाए निग्गयाण वोसिरे(रई। छायाऽसई उहंमिवि वोसिरिय मुहुत्तगं चिट्ठे ॥५८॥[५०४] अब्बोच्छिन्ना तसा पाणा पडिलेहा ण सुज्झई । तम्हा हदु समत्थ (पह; स्स अट्ठभो न कप ॥५९॥[५१०] अतरंतस्स व पासा गाढ दुक्खंति तेणऽवट्ठभे । संजयपिट्ठी थंभे सेल-छुहा कुड्ड विटि (विट्टि) ए॥६०॥[५१४] पंथं तु वच्चमागो जुगंतरं चक्खुगा व पडिलेहे । अइदूरचक्खूपाए सुहुम तिरिच्छग्गया ण पेहे ॥६१॥[५१५] अच्चासण्ण णिगेहे दुक्खं दडुपि पायसंहरणं । छकायविओरमणं सरीर तह भत्तपाणे अ ॥२॥ [५१६] ॥४४६॥ Jain Education For Privale & Personal use only Pw.jainelibrary.org

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