Book Title: Niyamsara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 126
________________ संजुत्त समक्खाद समणिय हिद कज्ज गेज्झ णादव्व य विण्य अवलोगंत वदंत वहंत युक्त संयुक्त कहा गया समन्वित/युक्त हितकारी समझा जाना चाहिये ज्ञातव्य समझा जाना चाहिये समझा जाना चाहिये भूक अनि पालन किया जाना चाहिये ग्रहण करने योग्य विधिक अनि विधिकृ देखता हुआ बोलता हुआ धारण करता हुआ. नियमसार (खण्ड-1) भूक अनि भूक अनि भूक अनि विधि कृदन्त विधिकृ अनि विधिक अनि विधिक अनि वर्तमान कृदन्त वकृ वकृ वकृ a 19 2 72 62 3 26 16, 17 57535 25 25, 48 22 61 62 60 (119)

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