Book Title: Niyamsara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 137
________________ चावि और चेव . जम्हा जह पादपूरक और क्योंकि जिस प्रकार चूँकि निश्चय ही नहीं आवश्यक रूप से जेण . 9 7, 36, 40 णियमेण णेव नहीं 26 नहीं 39, 40, 41, 42, 45 25 तम्हा तह इसलिए उसी प्रकार तथा उसी प्रकार उतने 13, 48 63, 68 तहेव ताव किन्तु दिवा दिन में . और पादपूरक तथा (130) नियमसार (खण्ड-1)

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