Book Title: Niyamsara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 141
________________ ऽऽ ।। ऽ ऽ ऽ ऽ।ऽ ऽ ।ऽ। 5 55 अत्तागमतच्चाणं सद्दहणादो हवेइ सम्मत्तं । ।।। ।। ऽ । ऽ ऽ ।।।।ऽ ऽ । ऽ ऽ ऽ ववगयअसेसदोसो सयलगुणप्पा हवे अत्तो॥ उग्गाहा छंद उग्गाहा छंद के प्रथम व तृतीय पाद में 12 मात्राएँ तथा द्वितीय व चतुर्थ पाद में 18 मात्राएँ होती हैं। उदाहरण ऽ। । ।।।।ऽ ऽ ऽ।।5।। ।। ऽ ऽ ऽ तस्स मुहुग्गदवयणं पुव्वावरदोसविरहियं सुद्धं । ऽ ।।। ।।।।। ऽ ऽ।।।। ऽ ।ऽ। ऽ ऽ ऽ . आगममिदि परिकहियं तेण दु कहिया हवंति तच्चत्था॥ ऽ ।।ऽ ऽ ऽ ऽ ।ऽ ऽ ऽ ।ऽ । ऽ ऽ ऽ अण्णणिरावेक्खोजो परिणामो सो सहावपज्जाओ। ऽ ।। ऽ ऽ।। ऽ । ऽ ऽ ऽ । ऽ । ऽ ऽ ऽ खंधसरूवेण पुणो परिणामो सो विहावपज्जाओ॥ (134) नियमसार (खण्ड-1)

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