Book Title: Niyamsara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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34
भयभीत भोक्ता
18
35, 37 37
मुत्ति
मूर्ति रहित
रहिअ
रहित
11, 13, 71
रहिय वज्जिय
रहित
वर
श्रेष्ठ/उत्तम
वदिरित्त
रहित
विम्हिय
चकित
विमोह
विमोह विरहिय
मुक्त
रहित
15, 51, 52, 59
विवज्जिय रहित विवरीय विपरीत
अशुद्ध विसुद्धप्प विशुद्धात्मा संखेज्ज संख्यात संजुत्त
से युक्त
स्व-पर स-परावेक्ख पर की अपेक्षा सहित
समभाव
स-पर
सम
(124)
नियमसार (खण्ड-1)
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