Book Title: Niyamsara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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उतने
36
भूतकाल
31
ताव तीद थूल थूलथूल थूलसुहम
21, 22, 23 21, 22
21
14
देसय
धीर पत्तेय
पयत्त
64
स्थूल स्थूलस्थूल स्थूलसूक्ष्म उपदेशक धैर्यवान प्रत्येक बड़ी सावधानी उत्कृष्ट पर दूसरा परम सर्वोत्तम सर्वोपरि परमार्थ
58
selbst111:*
62, 65
परमट्ठ
पसत्थ
पहुदि पाओग्ग पासुग
प्रशस्त आदि योग्य
प्रासुक
61, 63, 65
पुव्व
पूर्व
से युक्त सब प्रकार
पुव्वावर
नियमसार (खण्ड-1)
(123)
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