Book Title: Niyamsara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 363
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates शुद्धोपयोग अधिकार ३३६ तथैव ज्ञानज्ञेयविकल्पाभावात् सोऽयमात्मात्मनि तिष्ठति। हंहो प्राथमिकशिष्य अग्निवदयमात्मा किमचेतनः। किं बहुना। तमात्मानं ज्ञानं न जानाति चेद् देवदत्तरहितपरशुवत् इदं हि नार्थक्रियाकारि, अत एव आत्मनः सकाशाद् व्यतिरिक्तं भवति। तन्न खलु सम्मतं स्वभाववादिनामिति। तथा चोक्तं श्रीगुणभद्रस्वामिभि: (अनुष्टुभ् ) "ज्ञानस्वभावः स्यादात्मा स्वभावावाप्तिरच्युतिः। तस्मादच्युतिमाकांक्षन् भावयेज्ज्ञानभावनाम्।।'' वह (विपरीत वितर्क-प्राथमिक शिष्यका अभिप्राय) किस प्रकार है ? (वह इसप्रकार है:-) 'पूर्वोक्तस्वरूप (ज्ञानस्वरूप) आत्माको आत्मा वास्तवमें जानता नहीं है, स्वरूपमें अवस्थित रहता है ( -आत्मामें मात्र स्थित रहता है)। जिसप्रकार उष्णतास्वरूप अग्निके स्वरूपको (अर्थात् अग्निको) क्या अग्नि जानती है ? (नहीं ही जानती।) उसीप्रकार ज्ञानज्ञेय संबंधी विकल्पके अभावसे यह आत्मा आत्मामें ( मात्र) स्थित रहता है ( -आत्माको जानता नहीं है)।' (उपरोक्त वितर्कका उत्तर:-) “हे प्राथमिक शिष्य! अग्निकी भाँति क्या आत्मा अचेतन है (कि जिससे वह अपनेको न जाने)? अधिक क्या कहा जाये ? ( संक्षेपमें,) यदि उस आत्माको ज्ञान न जाने तो वह ज्ञान, देवदत्त रहित कुल्हाड़ीकी भाँति, अर्थक्रियाकारी सिद्ध नहीं होगा, और इसलिये वह आत्मासे भिन्न सिद्ध होगा! वह तो ( अर्थात् ज्ञान और आत्माकी सर्वथा भिन्नता तो) वास्तवमें स्वभाववादियोंको संमत नहीं है। (इसलिये निर्णय कर कि ज्ञान आत्माको जानता है।)" __ इसीप्रकार ( आचार्यवर) श्री गुणभद्रस्वामीने (आत्मानुशासनमें १७४ वें श्लोक द्वारा) कहा है कि: “[ श्लोकार्थ:-] आत्मा ज्ञानस्वभाव है; स्वभावकी प्राप्ति वह अच्युति ( अविनाशी * अर्थक्रियाकारी = प्रयोजनभूत क्रिया करनेवाला। (जिसप्रकार देवदत्तके बिना अकेली कुल्हाड़ी अर्थक्रिया-काटनेकी क्रिया नहीं करती, उसीप्रकार यदि ज्ञान आत्माको न जानता हो तो ज्ञानने भी अर्थक्रिया-जाननेकी क्रिया-नहीं की, इसलिये जिसप्रकार अर्थक्रियाशून्य कुल्हाड़ी देवदत्तसे भिन्न है उसीप्रकार अर्थ क्रियाशून्य ज्ञान आत्मासे भिन्न होना चाहिये! परंतु वह तो स्पष्टरूपसे विरुद्ध है, इसलिये ज्ञान आत्माको जानता ही है।) Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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