Book Title: Nitya Mangal aur Gautamswami Ka Ras Author(s): Dharnendrasagar Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४) चतुर्थं तिजयपहुत्तस्मरणम् ।। तिजयपहत्तपयासय–अट्ठमहापाडिहेरजुत्ताणं । समयक्खित्तठिआणं सरेमि चक्कं जिणंदाणं ।।१।। पणवीसा य असीआ पन्नरस पन्नास जिणवरसमूहो। नासेउ सयलदुरिअं भविआणं भत्तिजुत्ताणं ।।२।। वीसा पणयालावि य तीसा पन्नत्तरी जिणवरिंदा । गहभूअरक्खसाइणि-घोरुवसग्गं पणासंतु ॥३॥ सत्तरि पणतोसाविय सट्ठी पंचेव जिणगणो एसो। वाहिजलजलणहरिकरि-चोरारिमहाभय हरउ ।।४।। पणपन्ना य दसेव य पन्नट्ठी तय चेव चालीसा। रक्खंतु मे सरीरं देवासुरपणमिआ सिद्धा ।।५।। ॐ हरहुंहः सरसुसः हरहुंहः तय चेव सरसुसः । आलिहियनामगब्भं चक्कं किर सव्वओभई ।।६।। ॐ रोहिणिपन्नत्ति वज्जसिंखला तह य वज्जअंकुसिआ। चक्केसरी नरदत्ता कालि महकाली तह गोरी ।।७।। गंधारी महजाला माणवि वइरुट्ट तह य अच्छुत्ता । माणसि महमाण सिआ विज्जादेवीओ रक्खंतु ।।८।। For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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