Book Title: Nitya Mangal aur Gautamswami Ka Ras
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २६ भिन्नेभकुम्भगलदुज्ज्वलशोणिताक्तमुक्ताफलप्रखरभूषितभूमिभागः । बद्धक्रमः क्रमगतं हरिणाधिपोऽपि, नाक्रामति क्रमयुगाचलसंश्रितं ते कल्पान्तकालपवनोद्धतवह्निकल्पं, दावानलं ज्वलितमुज्ज्वलमुत्फुलिंगम् । जिघत्सुमिव विश्वं तवन्नामकीर्तनजलं रक्तक्षणं समद कोकिलकण्ठनीलं, क्रोधोद्धतं फणिनमुत्कणमापतन्तम् । आक्रामति क्रमयुगेन निरस्तशंकस्त्वन्नामनागदमनी हृदि यस्य पुंसः Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वल्गतुरंग गजगजितभीमनाद माजौ बलं उद्यद्दिवाकरमयूखशिखाऽपविद्ध ं, त्वत्कीर्तनात् तम इवाशु भिदामुपैति कुन्ताग्रभिन्नगजशोणितवारिवाह वेगावतारतरणातुरयोधभीमे । युद्ध े जयं विजितदुर्जयजेयपक्षा स्त्वत्पादपंकजवनाश्रयिणो लभन्ते सम्मुखमापतन्तं, शमयत्यशेषम् ।। ३६ ।। बलवतामपि भूपतीनाम् । For Private And Personal Use Only ।। ३५ ।। ।। ३७ ।। ।। ३८ ।। ।। ३९ ।।

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