Book Title: Nitya Mangal aur Gautamswami Ka Ras
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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वळता गोयमसामि, सवि तापम प्रतिबोध करे। लेई आपण साथ, चाले जिम जूथाधिपति ।४॥ खोरखांडघत आण, अमिअवट अंगठठ दवि । गोयम एकण पात्र, करावइ पारणं सवे ।।४१।। पंचमयां शुभभाव, उज्ज्वल भरियो खीरमीसे । माचागम संजोग, कवळ ते केवळरूप हुओ ॥४२।। पंचसयां जिणनाह, समवसरण प्राकारत्रय । पेखवि केवल नाण, उत्पन्न उज्जोय करे ॥४३॥ जाणे जिणवि पियूष, गाजंती घणमेघ जिम । जिणवाणी निमुणेवि, नाणी हुआ पंचसयां ॥४४॥ बस्तुछंद-इणे अनुक्रमे इणे अनुक्रमे नाणसंपन्न, पन्नरह मय परिवरिय हरियदुरिय जिणनाह वंदड, जाणवि जगगुरुवयण तिगह नाण अप्पाण निदइचरमजिणेसर इम भणइ, गोयम म करिस खेउ। छेडे जड आपण सही, होसु तुल्ला बेउ ।।४५।।
(ढाळ ५ मी-भाषा.) सामिओ ए वोरजिणंद पुनिमचद जिम उल्लसिअ, विहरिओ ए भरहवामम्मि बरिस बहोतेर संवमि। ठवतो ए कणयपउमेसु पायकमळ संघहिं सहिअ, आविओ ए नयणाणंद नयर पावापुरी सुरमयि ।४६।
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