Book Title: Nitya Mangal aur Gautamswami Ka Ras
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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ववगयकम्मरयमलं, गई गय सासय विउलं
।। ३५ ॥ गाहा ॥
तं बहुगुणप्पसाय, मुक्खसुहेण परमेण अविसाय । नासेउ मे विसाय, कुणउ अ परिसाऽविअ पसायं
।। ३६ ।। गाहा ॥
तं मोएउ-अ-नंदि, पावेउ अ नंदिसेणमभिनंदि । परिसाऽविअ सुहनंदि, मम य दिसउ संजमे नंदि
।। ३७ ।। गाहा ।। पक्खिअचाउम्मासिअसंवच्छरिए अवस्स भणिअव्वो। सोअव्वो सब्वेहिं, उवसग्गनिवारणो एसो
। ३८ ।।
जो पढइ जो अ निसुणइ, उभओकालंपि अजिअसतिथयं । न हु हु ति तस्स रोगा, पुव्वुप्पन्नावि-णासंति
॥ ३९ ॥ जइ इच्छह परमपयं, अहवा कित्ति सुवित्थड भुवणे। ता तेलुक्कुद्धरणे, जिणवयणे आयरं कुणह ।। ४० ।।
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