Book Title: Nayadhamma Kahao
Author(s): N V Vaidya
Publisher: N V Vaidya
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12
नायाधम्मकहाओ
[IX.94
अप्पाहणं च सूलाइयपुरिसदरिसणं च सेलगजक्खआरुहणं च रयणदीवदेवयाउबसग्गं च जिणरक्खियविवत्तिं च लवणसमुद्द उत्तरणं च चंपागमणं च सेलगजक्खआपुच्छणं च जहाभूयमवितहमसदिद्धं परिकहेइ । तए णं जिणपालिए जाव अप्पसोगे जाव विपुलाइ भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ ।
(94) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे जाव धम्मं सोच्चा पव्वइए एगारसंगवी मासिएणं भत्तेणं जाव अत्ताणं झूसेत्ता सोहम्मे कप्पे दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । ताओ आउक्खएणं ठिइक्खएण भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता जेणेव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिंइ । एवामेव समणाउसो ! जाव माणुस्सए कामभोगे नो पुणरवि आसाइ से णं जाव वाईवइस्सइ जहा व से जिणपालिए।
____एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेण जाव संपत्तेणं नवमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्तिबमि ॥
॥ नवमं नायज्झयणं समत्तं ॥९॥
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