Book Title: Navtattva Vistararth
Author(s): Jain Granth Prakashak Sabha
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 14
________________ परथी स्याहादरत्नाकरग्रन्थनिर्माता जे अपूर्व ग्रंथमां स्त्रीनिर्वाण सिद्धिमाटे लगभग ४२ हजार श्लोक प्रमाणनो भाग हतो महाराज सिद्धरांजनी सभामां कुमुदचन्द्र जेवा दिगम्बर वादीओने जीत. नार अढार देशमां अमारिना प्रवर्तक परमाईत महाराज कुमारपाल नृपप्रतिबोधक कलिकालसर्वज्ञ भगवान् हेमचन्द्राचार्य महाराज विगेरेना विद्यागुरु भगवान् धादिदेवसूरि महाराज आ प्रकरणना रचयिता होय तेम पण अनुमान थाय छे. उपरनी गाथा तथा वाक्य ए बन्ने तरफ विचार करता एक वाक्यता विषयक एवं पण अनुमान थइ शके के मूल गाथा२७ना कर्ता श्रीवादिदेवसूरि महाराज अने प्रक्षिप्त गाथाओना संग्राहक श्रीधर्मसूरि महाराज होय ? !! ____प्रकरणनी मूल गाथाओ-टीका-अवचूर्णि-बालावबोध विगे. रेनी प्राचीन प्रतिओना आधारे २७ जणाय छे. केटलीक टबावाली पतिओ विगेरेना आधारें गाथाओनी संख्यानो नियम नथी-ते २७ मूल गाथाओ पैकी गाथाओ जीवतत्वमां,४ अजीवतत्वभां,२ पु. ण्यतत्त्वमां, ४ आश्रवतत्वमां, . संवरतत्वमां, ? निर्जरा अने. धतश्चमां; अने१०मोक्षतवमां, मोक्षतत्वनी अंदर श्री साधुरस्नमूरिका अवचूर्णिमां २ गाथाओ अधिक छे जे अपेक्षाए मूलगाथाओ २९ थायछे, छतां पण पठन पाठनमा५९गाथाओ प्रचलित होवाथी:अमोए पण तेज संख्या राखी छे २७ या२९थी पाकीनी गाथाओ प्रासंगिक अर्थ याद राखवामाटे महापुरुषोए उत्तराध्ययन-- . कर्मग्रन्थविगेरेनी प्रक्षेपकरेली जणायछे अने आवीज रीते प्रक्षेपगाथाओ मेळवीने १४० गाथाना नवतस्व(बृहन्नवत त्व)वाली प्रतिओपणंदे. खायछे जे उपरथी अमोए र्पण ते १४० मूळगाथाओ आ पुस्तकने अन्ते अलग प्रसिद्ध करीछे.

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