Book Title: Nandanvana
Author(s): N L Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 18
________________ अध्याय 1. हिन्दी खंड जैन शोध जैन विद्याओं में शोध ( 1983 - 1993 ) : एक सर्वेक्षण आगम 2. आगमिक ग्रन्थों की प्रामाणिकता का मूल्यांकन 3. आगमिक मान्यताओं का युगानुकूलन दिगम्बर आगमतुल्य ग्रन्थों की भाषा : सम्पादन और संशोधन की विवेचना जैनधर्म और सिद्धान्त 4. जीव की परिभाषा और अकलंक जीवों की चैतन्य कोटि 5. 6. 7. 8. 9. 10. हिंसा का समुद्र : अहिंसा की नाव 1 प. कर्मवाद का वैज्ञानिक पक्ष जैनधर्म और विज्ञान पुण्य और पाप का सम्बन्ध आत्मा और पुनर्जन्म मंत्र की साधकता : एक तुलनात्मक विश्लेषण 12. अवग्रहेहावायधारणा 1 13. वनस्पति और जैन आहार शास्त्र 44. जैन शास्त्रों में भक्ष्याभक्ष्य विचार 15. पर्यावरण और आहार संयम अनुवाद 16. अ-ललित जैन साहित्य का अनुवाद : कुछ समस्यायें 17. अज्ञान के उपाश्रय में विदेशों में जैनधर्म संवर्धन 18. विदेशों में धर्म प्रचार-प्रसार की योजना 19. विदेशों में जैन धर्म का संप्रसारण 20. जैन विद्या संवर्धन में विदेशी विद्वानों का योगदान समीक्षा 21. हरिवंशपुराण में विद्याओं के विविध रूप यात्रा 22. बम्बई और लन्दन (भारत और ब्रिटेन के दर्पण) दैनंदिनी 23. अ. महावीर जयन्ती पर विचार 1952 ब. धर्म और व्यवहार, 1963 परिशिष्ट 1-5 Jain Education International For Private & Personal Use Only 279 290 303 314 331 342 347 351 356 369 403 417 424 445 474 489 494 499 502 508 523 534 546 548 551 www.jainelibrary.org

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