Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 15
Author(s): Shyamsundardas
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 489
________________ ४७२ नागरीप्रचारिणी पत्रिका नहीं खोलती थी। इस प्रकार पति की अनुपस्थिति में पत्नी सारे आनंदव्यसन छोड़ देती थी। उसके नेत्र अंजन बिना निस्तेज हो जाते थे और मद्य के असेवन के कारण भ्रू अपना आकर्षण खो देते थे। घर लौटने के बाद ही पति उसकी सूखी वेणी अपने हाथों खोलकर फिर गूंथता था। पति पत्नी को प्यार करता था और उसका आदर और प्रतिष्ठा करता था। दशरथ की रानी कौशल्या पति द्वारा 'अर्चिता' थी ( अर्चिता तस्य कौशल्या )। दूर रहनेवाले पति वर्षारंभ में ही अपने घर लौटकर पत्नी को सुख देते थे और वे अपने केशों को तेल से स्निग्ध करती तथा उनमें कंघी करती थीं। पति की अनुपस्थिति में चित्रण-ज्ञान उनका बड़ा साथ देता था। वे उसके चित्र तैयार करती अथवा प्यारे पालतू मयूर को अपने पाजेबों और तालियों की ध्वनि के साथ नचाती। पत्नी का गौरव लोग अच्छी तरह समझते थे क्योंकि यह स्पष्ट था कि बिना वैवाहिक प्रेम की उपलब्धि के धर्मप्राण हिंदू की कोई गति नहीं। जब शिव इस सत्य को जानकर ऊपर अरुंधती को देखते हैं तो विवाहानंतर के स्वर्गीय सुख के प्राप्त्यर्थ वे व्यग्र हो उठते हैं । जब ऊपर लिखे प्रकार पत्नी अपने पति की अनुपस्थिति में अपने सारे व्यसनों को त्याग देती थी तब वह पतिप्रिया क्यों न हो? निम्नलिखित वक्तव्य से व्रताचरण करती हुई स्त्री की अवस्था का पता चलता है-'श्वेत (रेशमी) वस्त्र धारण किए केवल मंगलार्थ थोड़े से आभूषण पहने, बालों में पवित्र दूर्वीस्त्रियों का व्रतानुचरण कुर धारण किए, व्रत के बहाने गर्व-रहित होकर (.) मेघदूत। (२) तदर्शनादभूच्छंभोभूयान्दारार्थमादरः । क्रियाणां खलु धाणां सरपरन्यो मूल कारणम् ।।-कुमार०,६,१३। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526