Book Title: Mrugaputra Charitram
Author(s): Shubhvardhan Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 11
________________ मृगापुत्र SAE // 10 // // 10 // ISRASASEX असिधारा यथा वत्स / नर्तकानां सुदुश्चरा // तथा निरतिचारं च / दुश्चरं चरणं मतं // 37 // अर्थः-वळी हे वत्स! नृत्य करनाराभीने खड्गनी धारापर चालवु जेम मुश्केलीभर्यु छे, तेम अतिचार रहित चारित्र पालयान चरित्रम् कार्य पण मुश्केली भर्यु जाण्युछे. // 37 // ...: पंचमहाव्रताचार-पालनं गदितं बुधैः // दुष्करं लोहचनक-दंतचर्वणसन्निभं // 38 // अर्थः-वळी आ पांचे महाव्रतोना आचार पालबार्नु कार्य विद्वानोए दांतोवडे लोखंडना चणा चाववासरखं मुश्केल कहेलुं छे. 18/ 4 वह्निज्वाला यथा दीप्ताः / पातुं स्यादतिदुष्करा // तथा सुदुष्करं कर्तुं / श्रामण्यं यौवने सति // 39 // __ अर्थः-जे प्रकटी निकळेली अग्निनी ज्वालाओने पीवी अतिमुश्केल छे, तेमयौवन वयमा मुनिपणु पालवु वधारे मुश्केली -% A | यथा भर्तुं महावातैः / कुत्थलः खल्लु दुष्करः // श्रमणत्वं तथा धतुं / क्लीबेन सुत दुष्करं // 40 // अर्थः-वलो हे वत्स! खरेखर जेम महान् वायुवडे कथोळो भरवो मुश्केल छे, तेम निर्माल्य पोपला पुरुषने चारित्र पालवु / | महा मुश्केल छे.॥४०॥ Jun Gun Aaradh P untatasur MS.

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