Book Title: Mantrishwar Vimalshah
Author(s): Kirtivijay Gani
Publisher: Labdhi Lakshman Kirti Jain Yuvak Mandal

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Page 26
________________ २२ मंत्रीश्वर विमलशाह . नहीं है। उनके राज्यमें पानी को तीन बार छानकर उपयोग में लिया जाता थ। । बचे हुए अन्न को बासी न रखकर उसे गरीबों में बाँट दिया जाता था । लकड़ी कंडे आदिको पहिले खूब देख भालकर तथा जाँच पड़ताल कर उपयोग में लिया जाता था। किसी भी सूक्ष्मजीव जंतु की भी हत्या न हो जाय, इस बातका पूरा ध्यान रक्खा जाता था। विशेष ध्यान देने योग्य बात तो यह थी कि चौसर खेलते समय गोटियां डालते 'मार' शब्द भी कहीं न बोला जाय इस बातकी पूरी सावधानी रक्खी जाती थी। मांस, मदिरा चोरी, शिकार, वेश्यागमन, परस्त्रीगमन और जुआ-इन सात व्यसनों को देश निकाला दे दिया गया था । कई प्रकार के दूसरे धार्मिक रीतिरिवाज शुरू हो गये थे। इसीका नाम है कल्याणराज, इसीका नाम है रामराज्य और इसीका नाम है धर्म राज । जिस समय ऐसे धर्मराज थे तब प्रजा भी सुरक्षित थी, समृद्ध थी और लक्ष्मी की असीम कृपा थी। विमलशाहने जीवन में अनेकबार पवित्र श्री सिद्धगिरिजी तथा गिरनारजी जैसे महान् तीर्थोके छ'री पालक संघ निकालकर संघपति की उपाधि से वे सम्मानित हुए थे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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