Book Title: Mahavira Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: USA Jain Institute of North America
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११०
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पद्यनुं आदिवाक्य नासीले निच्चकालनिच्चुग्विग्गो पइण्णवादी पढमं नाणं पन्नामयं पणीयं भत्तपमायं कम्मपरिजूरइ पवेयए अजपयं पाणिवह-मुसावयापाणे य नाइपायच्छित्त पुढवी साली पुरिसोरम पंचिंदियबालस्स पस्स बालाणं अकामं बिडमुन्भेइमं बुद्धस्स निसम्म भासाए दोसे य भोगामिसदोस
पद्यनो अंक | पद्यनुं आदिवाक्य पद्यनो अंक
७४ | मणपल्हायजणणी ४४ २१ मन्दा य फासा . ११० १८९ मरिहिसि रायं !
| माणुसत्तम्मि माणुसत्ते
१७५ १०८ माणुस्सं विग्गहं ४९ मासे मासे
१९२ मुसावाओ य
२३ १२३ मुहं मुहं माह
मूलमेयमहम्मस्स मूलाओ खंधप्परसा पगामं न
१३५ २३७ रागो य दोसो १५१ / रूवाणुरत्तस्स
१३७ १६३ रूवे विरत्तो
| रूवेसु जो १९६ रोइअनायपुत्त१९५ लभ्रूण वि ११८, ११९, २२२
लोहस्सेस
वत्तणालक्खणो २२५ २७ वत्थगन्ध
२०१ १७९ । वरं मे
२१४
७२
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२६९
६० १३०
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