Book Title: Mahavira Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: USA Jain Institute of North America
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पद्यनुं आदिवाक्य तिव्वं तसे तुलियाण तेउ-पम्हातेणे जहा तेसिं गुरूणं तं अप्पणा तं देहवार्स थंभा व कोहा दंतसोहणदाराणि सुया दिट्ट मियं दिव्व-माणुसदुक्खं हयं दुजए दुप्परिच्चया दुमपत्तए दुल्लहे खलु देव-दाणवधण-धन्नधम्मलद्धं धम्मो अहम्मो धम्मो मङ्गल
२१३ पद्यनो अंक | पद्यनु आदिवाक्य पद्यनो अंक ३६ | धम्मं पि हु
१२२ १९८ धीरस्स पस्स
१९७ २४० न कम्मुणा
२१० १०४ न कामभोगा
न चित्ता न जाइमत्ते
२७९ न तस्स जाई
३०६ न तस्स दुक्खं
१७७ न तं अरी
२१८ न परं वइजासि
२७८ न य पावपरिक्खेवी न य वुग्गहियं
२७२ १३४ न रूवलावण्ण
न लवेज १६५ न वा लभेजा
न वि मुंडिएण ११६ | न सो परिग्गहो
| नाणस्स सव्वस्स २०६
नाणस्सावरणिज्ज २३३ ५० | नाणेणं जाणइ
२३० २२३ | नाणं च दंसणं २२६, २३१ १ नामकम्म
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