Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1978
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 207
________________ अहमदाबाद के नगर सेठ सेवा सोम ने जैन ले सकें। जब मुसलमोन नमाज जोर से पड़ सकते मन्दिर इसके राज्य काल में बनवाया59 जैन हैं तो हिन्दू जोर से भजन गाने में अपराधी कैसे ?. पर्व दशलक्षण के दसों दिन जीव हत्या बन्द शाहजहां को इस बात का दुःख हुआ कि हिन्दुओं रहती थी60 । शत्रुञ्जय में नगर सेठ शान्तिदास ने के पास कोई मन्दिर नहीं जिस के कारण उन्हें 10वें तीर्थकर शान्तिनाथ का मन्दिर जहांगीर के भगवान का नाम घर पर ही लेना पड़ता है। समय में बनवाया था। 1616 ई० में पंच उसने मसजिद के पास ही सरकारी भूमि पर राज्य कल्याणक उत्सव द्वारा तीर्थकरों की मतियों की भार से भगवान की पूजा के लिये एक मन्दिर प्रतिष्ठा और स्थापना हुई। बनवा दिया। शाहजहां जैन साधुओं और विद्वानों का भी बड़ा आदर करता था । जैन महार 12-शाहजहाँ ने (1627-1658 ई०) पक्का बनारसीदास का उसने राज्य सभा में मुसलमान होने पर भी अपने जैन सेनापति बुलाकर बड़ा सम्मान किया था। को 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ की मूर्ति अपने राज-तम्बुप्रों में रखने की आज्ञा दे रखी थी 13. औरंगजेब (1658-1707 ई०) अत्यन्त जिस की पूजा वह सैनिक कार्य प्रारम्भ करने मुस्लिम पक्षी बादशाह था परन्तु अपने तप, ज्ञान से पहले किया करता था । अहिंसा व्रती होने और आचरण से जैन साधुओं ने उसका कठोर पर भी यह सेनापति इतना योद्धा और वीर था कि हृदय भी जीत लिया था, इसलिये वह उनका शाहजहां ने अपने लाल किले के निकट ही दि० उपदेश सुनता था, उनका बड़ा सम्मान करता जैन लाल मन्दिर बनवाने की प्राज्ञा दी। वह जैन . था। डा० बीनयर औरंगजेब के राज्य काल मन्दिर तथा पार्श्वनाथ की वह मूर्ति जो उसके में भारत की यात्रा को आये थे उन्होंने नग्न तम्बुनों में बिराजमान थी इस मन्दिर की आज भी जैन साधुनों को बड़े बड़े बाजारों तक में बिना मूल नायक प्रतिमा है । यही कारण है कि लाल किसी रोक टोक के विहार करते देखा । स्त्रियाँ मन्दिर शाहजहां के समय का और पार्श्वनाथ मूर्ति तक उनकी भक्ति करती थी। चान्दखेडी में सिकन्दर लोधी के राज्यकाल की 1491 ई० की भगवान महावीर का मन्दिर, तीर्थकर- मूर्तियों प्रतिष्ठित है। की स्थापना तथा पंचकल्याणक प्रतिष्ठाएं औरंगजेब के राज्य काल में हुई68 ।। औरंगजेब जब युवक था तो उसने एक जैन मन्दिर को तुड़वा दिया। शाहजहां को पता चला लालमन्दिर में प्रतिदिन नकारा बजा करता तो उसने औरंगजेब को धमकाया और राज्यभार था । औरंगजेब का खयाल था कि उस की आवाज पर पहले जैसा ही शानदार मंदिर बनवा दिया और उस की निद्रा में बाधा डालती है क्योंकि लाल किला उसमें अनेक तीर्थकरों की मतियां स्थापित कराई631 लाल मन्दिर के निकट था। उसने यह बहाना बना शाहजहां ने जैन धर्म की प्रभावना में पूरा सहयोग कर कि राज्य कार्यों में नकारे की आवाज से बाधा दिया। कुछ मुसलमानों ने शाहजहाँ से फरियाद होती है उसके बन्द करने का आदेश दे दिया । की कि लालसिंह अपने घर में इतने जोर से अपने आदेशानुसार नकारा नहीं बजाया गया फिर भी भगवान के भजन गाता है कि निकट की मसजिद वह स्वयं बजता रहा । औरंगजेब ने पूछा-नकारा में नमाज पढ़ने बालों को बाधा होती है। शाहजहां क्यों बन्द नहीं हुआ ? कोतवाल ने कहा कि वजाने ने निर्णय दिया कि ऐसा कोई कानून नहीं है कि वालों ने तो बन्द कर दिया परन्तु वह स्वयं ही बज हिन्दू मसजिद के पास अपने भगनान का नाम न रहा है। औरंगजेब को विश्वास न आया। स्वयं महावीर जयन्ती स्मारिका 78 2. 93 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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