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आचार्यश्री विजयनित्यानन्दसूरि
____ वर्तमान में इस संस्था का महत्त्व बहुत बढ़ गया है । क्योंकि विज्ञान, तकनीक तथा शिक्षा के स्तर के उन्नत होने के साथ विविध कुरीतियों ने जन्म ले लिया है । विज्ञान के सकारात्मक पक्ष प्रशंसनीय हैं किंतु गलत दिशा में दुरुपयोग चिन्तनीय है । शिक्षा, किंतु संस्कार व धर्म की परिभाषा से युक्त शिक्षा उत्तम ही नहीं होती वरन् परिवार की भाँति लालन-पालन करती है । मैं महावीर विद्यालय की प्रगति को संस्कारों से जोड़कर चलना चाहता हूँ । इस संस्था के अध्यक्ष, महान समाजसेवी, महान दानवीर, महान परोपकारी, परम गुरुभक्त स्व. श्रीमान् दीपचंद एस. गार्डीजी से मैं जब भी मिला महावीर विद्यालय के निरन्तर उन्नयन पर विचार-विमर्श हुआ । श्री गार्डीजी के स्वर्गवास से विद्यालय संस्थाने ही नहीं वरन् संपूर्ण जैन समाज ने एक महान भामाशाह तथा शिक्षा जगत को समर्पित चिंतक खो दिया है । यह संस्था उत्तरोत्तर प्रगति करे, पूज्य गुरु वल्लभ के सपनों को साकार करे तथा यह शताब्दी वर्ष विविध उपलब्धियों से, नई ऊँचाईयों व जैन सभ्यता-संस्कृति प्रचार के कार्यों से सुसज्जित रहे ऐसी शुभकामनाएँ हैं । संस्था के ट्रस्टीगण संस्था को यशस्वी बनाने में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे ऐसी शुभभावाना के साथ सभी को . धर्मलाभ ।