Book Title: Mahadani Bhamashah
Author(s): Prem Kishor Patakha
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 11
________________ कितना भी बड़ा शत्रु है परास्त हो जाता है। जब सभी अपने काम में एक होकर जुट जाते हैं। किसान कड़ी मेहनत करके धरती में अन्न उपजाए, नये हथियार बनें सैना बढ़ाई जाए - Sui Suy पव On Bir Chal महादानी भामाशाह आपकी इस प्रतिज्ञा से हम सभी जुड़े हैं । 9 मैं अपनी प्रतिज्ञा फिर दोहराता हूँ जब तक मेरा यह मेवाड़ पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हो जाता मखमली बिछौनों पर नहीं सोऊंगा, सोने-चांदी के बर्तनों में खाना नहीं खाऊंगा, अपने देश की स्वतंत्रता के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दूंगा । (ogur OTTEL ACTITIONE तो फिर बड़े से बड़ा शत्रु भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, चलिए, सैनिक शिविर में हमारी प्रतीक्षा हो रही होगी CLARY

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