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जैन चित्रकथा कैसी बाते करता है,
कहीं एक रोटीसे किसी की भूख
राणा प्रताप केये दिनबेटाअमरसिंह,एक रोटी और खाले।
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नहीं मां भूख नहीं
मिटती है
हैं।
अपने हिस्से की एक रोटी खा चुका
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मैं तुझे अपने हिस्से की रोटी देती हूँ। अगर मैं किसी दूसरे
(मैं तो कई दिनों तक बिना रोटी के हिस्सेकी रोटीरवाऊंगा
के भी रह सकती हूँ बेटे। तोवह भूखा रह
जाएगा
नहीं मां, यह सरासर अन्याय
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हमारे दर्भाग्य।ये दिन भी हमें देखने को मिल गये। राजमहलों में पलने वाले आज साग-पातकी, भर पेट रोटी भी नहीं रखा पा रहे। एक रोटी के लिए तरस रहे है।
तुम्हारे मुख से ये बाते शोभा नहीं देती हैं.मा।