Book Title: Mahabandho Part 5 Author(s): Bhutbali, Fulchandra Jain Shastri Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 8
________________ विषय-सूची २३६ ३२५ २३६ २४० २४१ ६८ १२६ २४० २४१ २४४ २४४ २७६ २७८ ७६ २८३ २४५ २७६ २७८ ६३ १२६ १२६ १२७ १२६ २७६ २८३ १२६ २८५ १२८ १३१ ३०६ १२६ १२६ ३०६ ३१२ ३१७ ३१२ १३० ३१७ १३० १३१ ३१८ भुजगारबन्ध अर्थपद समुत्कीर्तना स्वामित्व काल अन्तर भंगविचय भागाभाग परिमाण क्षेत्र स्पर्शन काल अन्तर भाव अल्पबहुत्व पदनिक्षेप समुत्कीर्तना दो भेद उत्कृष्ट जघन्य स्वामित्व दो भेद उत्कृष्ट जघन्य अल्पबहुत्व दो भेद उत्कृष्ट जघन्य १३१ १४२ १३७ ३१८ १३१ ३२५ १३७ १४२ सनिकर्षप्ररूपणा सन्निकर्ष के दो भेद स्वस्थान सन्निकर्ष उत्कृष्ट सन्निकर्ष जघन्य सन्निकर्ष परस्थान सन्निकर्ष उत्कृष्ट सन्निकर्ष जघन्य सन्निकर्ष भंगविचयप्ररूपणा उत्कृष्ट जघन्य भागाभागप्ररूपणा उत्कृष्ट जघन्य परिमाणप्ररूपणा उत्कृष्ट जघन्य क्षेत्रप्ररूपणा उत्कृष्ट जघन्य स्पर्शनप्ररूपणा उत्कृष्ट जघन्य कालप्ररूपणा उत्कृष्ट जघन्य अन्तरप्ररूपणा उत्कृष्ट जघन्य भावप्ररूपणा अल्पबहुत्वप्ररूपणा अल्पबहुत्व के दो भेद स्वस्थान अल्पबहुत्व उत्कृष्ट जघन्य परस्थान अल्पबहुत्व उत्कृष्ट जघन्य ३२५ ३५६ ३२५ ३२५ ३२५ ३२५ ३५५ १४२ १४२ १५१ १४६ १५१ ૨૧૧ ३२५ १४६ १५१ १५१ ३२५ १८२ १८२ ३२५ ३४० ३५६ २११ २११ २११ २१६ २१४ २१६ ૨૧૬ २१७ ३४० ३५५ ३५६ ३२६ ३५६ ३७२ ३७२ २१४ २१६ २१६ ३५७ ३५७ ३५६ ३५६ | वृद्धि २१६ २२० २१८ ३६१ समुत्कीर्तना स्वामित्व २२० ३ काल २२८ २२० २२० २२४ अन्तर भंगविचय भागाभाग परिमाण २६१ ३६१ ३६२ ३६३ ३६४ ३६४ ३६५ २२४ ३६३ २२८ क्षेत्र २२८ २३६ २३३ २३६ ३६५ ३६६ स्पर्शन काल ३६८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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