Book Title: Mahabal Malayasundarino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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पगें, दीग यावत तेरा ॥ स० ॥ सहसा हरखें सामो हो, वे आप रसे ॥ स० ॥ कु० ॥ १२ ॥ मलि या हेजें हरखता, टाली वैर विरोध || स० ॥ मांहो मांहि प्रकाशी, पूरण प्रेम निबोध ॥ स० ॥ कु० ॥ ॥ १३ ॥ हर्ष तणे यांसू जलें, गयो विरह हुताश || स० ॥ नेह नवांकुर पल्लव्या, वाध्या रंग विलास ॥ स० ॥ कु० ॥ १४ ॥ जगमां चंदन सीयसुं, तेथी शशिकर योग || स० ॥ शशिकरथी पण शीयलो, वा हालानो संयोग || स० ॥ कु० ॥ १५ ॥ ण एक इ ष्ट कथारसें, निरवाहे सुख शील ॥ ॥ स०॥ वैतालिक जाटचारणादिक) बोल्या तिसें न सहे वासर ढील ॥ स० ॥ कुः ॥ १६ ॥ सिद्धनृपें निजपुर प्रत्यें, पध राव्या नृप दोय ॥ स० ॥ विंट्या निज निज परिक रें, आव्या जवनें सोय ॥ स० || कु० ॥ १७ ॥ रोती दुःख संजारीनें, राणी मलया ताम ॥ स० ॥ बोला वी सुसरादिकें, चादर देय प्रकाम ॥ स० ॥ कु० ॥ १८ ॥ तुरत करावी महाबलें, अशनादिकनी नक्ति ॥ स० ॥ सैनिक सर्व संतोषियां, नूपाखें जली युक्ति ॥ स० ॥ ॥ कु० ॥ १७ ॥ तात श्वसुर यादें सहु, बेगं सुखमां त्यांहिं ॥ स० ॥ रुद्धि निहाली कुमरनी, चित्र लदे
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