Book Title: Mahabal Malayasundarino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 301
________________ (ए) हवीगण तणो कीयो हो राया, सूरे महबल राय ॥ सागरतिलकें थापियो हो राया, शतबल अनिषेका य रे॥हो ॥४॥ वीरधवल वसुधाधवें होराया, मल यकेतु अनिधान ॥ आप तणे पाटें उव्यो हो राया, तिहांहिज देई सनमान रे॥होण॥५॥ पद चिंता था पापणी हो राया, कीधी जनपद हेत॥संयम ले वा संचरे हो राया, निज निज नारी समेत रे॥ हो । ॥६॥ ते केवली पासें जई हो राया, संयम ट्ये श्री कार ॥ रूमे हितशिक्षा ग्रहे हो साधु, चरण करण गु णधार रे॥ हो मोरासाधु, संयम पाले बे॥७॥ संयम झूषण टालवा हो साधु,शम दम शौच पवित्र ॥ तृण मणिनें सरिखा गणे हो साधु, गणे समा रिपु मित्र रे॥हो०॥७॥ गुरु पासें हुआ अन्यसी हो साधु, हा दश अंगी जाण || बह अहम आदें घणां हो साधु, करता तप शुज जाण रे॥हो॥ए ॥ महासती पासें वी हो साधु, नृपराणी दे दीख ॥ सामायिक आदें ग्रहे हो साधु, शिवपद साधन शीख रे॥हो०॥ १० ॥ दिन केता तिहां रही हो साधु, उपगारी गुरु राय॥ विहार करे वसुधा तलें हो साधु, बिहुं मुनि सेवे पाय रे॥हो ॥११॥शोषी तन तप थाकरे हो साधु, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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