Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
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________________ हैमप्रकाश वगेरे अनेक ग्रन्थोना सम्पादक-संशोधक प्रातःस्मरणीय पू० आचार्य श्रीक्षमाभद्रसूरि म० ना केटलाक जीवन प्रसंगो tirkirakritkarxxx****** wwww Pratimaratiriktionary लेखक-पू० मु० श्री राजशेखर विजयजी म. ... वांचको ! जरा विश्व उपर दृष्टिपात करो. अक स्वभाव कहो के संस्कारनो वारसो कहो, परंतु ज्यारे मानव यौवनना आंगणे प्रवेश करे छे, त्यारे तेनी हृदय-भूमि पर बे आग प्रज्वलित बने छे. ओक आग कन्यापति बनवाना कोडनी, अने ' बीजी आग लक्ष्मीपति बनवाना होंशनी. ___आ बे आगना असह्य तापथी कोण बच्यु छ ? अनंता मानवीओ आ आगना तापथी शेकाई गया. हता न हता थई गया. तेमनुजीवन काळनी कारमी चक्कीमां पीसाई गयु. तेमनो आत्मा अनंत संसारनी मुसाफरी माटे विदाय थई गयो. तो शु आ अग्निना तापथी कोई ज मानवी बचतो नथी ? बचे छे, जरूर बचे छे. जेनो हृदय हंस जीवनपति बनवानी आशाना सरोवरमां गेल करे छे ते आ बे आगथी बचे छे. तेनु जीवन जगतना जीवोने आशीर्वादरूप नीवडे छे. ते पोताना आत्माने तथापोताना परिचयमां आवनारना आत्माने ऊर्ध्वगामी बनावे छे. . जीवनपति अटले पोताना जीवननो पति-मालिक-स्वामी. उच्छृखल बनेला पोताना जीवनने काबूमां राखनार दरेक मनुष्य जीवनपति बनी शके छे.. ... पण जीवनपति बनवु में बच्चाना खेल नथी. से माटे दुर्दान्त मनने दमवु पडशे. इन्द्रियोने वश करवी पडशे. संसारना रंगरागने भूली जवा पडशे. कंचन अने कामिनीना स्पर्शथी पण दूर रहेवु पडशे. काया अने कीर्तिनी ममताने फगावी देवी पडशे. जीवनपति बनवु दुःशक्य जरूर छे, पण अशक्य नथी ज.. आ भारत देशमा अनेक नर रत्नो थया छे, के जेओ यौवनना आंगणे आवता पहेला ज संसारना भौतिक सुखोने तिलांजलि आपी जीवनपति बनी गया. आवा महापुरुषो पोतानी जीवनमोटरने जरा य विपरीत मार्गे जवा नथी देता, अने भूले चूके जाय तो तुरत ब्रेक मारे छे. अमनु भव्यजीवन सर्व कोई ने जीवनपति बनवानी दिव्य प्रेरणा आपे छे. अहीं तमने आवाज ओक जीवनपति बननार दिव्यपुरुषना जीवन उपवनमा विकसेला गुणकुसुमोनी सौरभनो आनंद लूटवा मळशे. महानुभावो ! तमो मात्र जरा वार से आनंद है लूटीने बेशी नहि रहेता पण मे गुण-कुसुमोने तमारा हृदय-करंडकमां भरी लेशो. जेथी सदा "है 1 तेनी-सौरभनो आनंद मल्या करे.