Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 10
________________ संपादकनुं निवेदन मध्यकालीन गुजराती साहित्यनी कृतिओ साथे काम पाडवानुं थतुं हतुं त्यारे मध्यकालीन गुजराती शब्दकोशनी खोट हमेशां सालती हती. केटलांक मध्यकालीन कृतिसंपादनोमां शब्दकोश छे एनी मदद लेवानो प्रयास हुं करतो हतो. पण एकाद शब्द माटे आम जुदाजुदा ग्रंथोना शब्दकोशो जोवानुं घणुं अगवडभर्यु हतुं. ए श्रम पछीये कशुं हाथमा न आवे एम बने. आ परथी विचार आव्यो के संपादित ग्रंथोमां रहेला शब्दकोशोने संकलित करी लेवानुं तो, ओछामा ओर्छ, थर्बु जोईए. एनी व्यवस्थित योजना करवानी तो मने अनुकूळता नहोती पण मारा अंगत रसथी अने अंगत उपयोग माटे में मध्यकालीन संपादित कृतिओना शब्दकोशोनां कार्ड कराववानुं शरू कयु. ए काम घणुं धीमुं चालतुं केमके केटलाक ग्रंथोमां 'करइ' जेवा सामान्य उच्चारभेदवाळा तेमज आजे जाणीता घणा शब्दो पण शब्दकोशमां समावाया हता ते बाद करीने कार्ड करवा आपवानुं मारे थतुं. आ काम शरू कर्या पछी एक वखत डॉ. हरिवल्लभ भायाणी साथे मारे वात थई. एमणे आने बदले कृतिओमांथी सीधा ज शब्दो लेवानुं अने प्रथम तबके चौदमी-पंदरमी सदी सुधीनी कृतिओने ज समाववानुं सूचन कर्यु; एमनी पासे आवां केटलांक कार्ड तैयार हतां ते तेओ मने आपशे एम पण कडं. मने ए काम मारी शक्ति बहार- लाग्यु. कृतिओमां तो अनेक एवा शब्दो पडेला होवाना (ने संपादके जो शब्दकोश कर्यो होय तो एमां समावेश न पामेला होवाना) जेना अर्थो निर्णीत करवानुं अत्यंत कपलं होवा. आरंभकाळनी कृतिओमां तो स्वाभाविक रीते अपभ्रंश शब्दोनुं घणुं भरणुं होय. मारा जेवा प्राकृत-अपभ्रंशथी अनभिज्ञ माणसनु एमां शुं गजुं ? अंधारामां अथडावानु ज थाय, खोवाई जवानु ज थाय. में का, “ए काम तो डॉ. भायाणी ज करी शके." तैयार शब्दकोशोमां केटलीक तकलीफो तो होवानी, पण एमां जे-ते ग्रंथना संपादके करेला श्रमनो लाभ मळे अने एने सहारे आगळ वधवानुं सुकर बने. डॉ. भायाणी मारी साथे संमत थया हता एवं तो नहीं, परंतु एमणे एमनी लाक्षणिक उदार विद्याप्रीतिथी मने मारे मार्गे जवा दीधो. एटलुं ज नहीं, हुं गुजराती साहित्य परिषदना साहित्यकोशना कार्यमांथी परवारवामां हतो त्यारे मे १९८७मां तो एमणे प्राकृत जैन विद्याविकास फंडना मंत्री डॉ. चन्द्रानो प्रस्ताव मारी समक्ष मूक्यो के हुं मारी रीतनो मध्यकालीन शब्दकोश तैयार करी आपुं. त्यां सुधीमां तो बहु ओछां पुस्तकोनां कार्ड तैयार थयां हतां ने चकासणीनुं काम तो आरंभायु ज नहोतुं, परंतु Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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