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तेम बेसाडी देवामां आवेली होय छे के अटकळे मुकायेली होय छे. छतां व्युत्पत्ति आपवी ज होय तो अत्यंत प्रमाणभूत होय तेवी ज आपवी. खोटी व्युत्पत्तिना प्रसार-प्रचारमा आपणे साधनरूप न थq.
खरी वात छे के व्युत्पत्ति ए एक स्वतंत्र ने अलायदु विषयक्षेत्र छे अने ए जुदी ज सज्जता ने जुदो प्रयास मागे. आ कोश मुख्यत्वे शब्दार्थकोश छे, ए ने माटे व्युत्पत्ति आपवी अनिवार्य नथी. एटले डॉ. भायाणीनी ए सलाह योग्य ज हती के व्युत्पत्ति मर्यादित रूपे ने एकदम प्रमाणभूत होय ते ज आपवी. परंतु प्राप्त व्युत्पत्तिनी प्रमाणभूतता चकासवानी आ कोशना संपादकमां पूरी योग्यता नहोती अने हानोपादाननो विवेक करवो एने माटे मुश्केल हतो. बीजी बाजुथी एम जोवा मळतुं हतुं के निर्दिष्ट व्युत्पत्तिओ के समान्तरताओथी घणी वार शब्दने वधारे सारी रीते ओळखी शकातो हतो ने एना अर्थने टेको प्राप्त थतो हतो. घणी वार शब्दना अर्थनो निर्णय करवानी प्रक्रियामां संस्कृतादि भाषाना शब्दो मळी आव्या छे. एम पण लाग्युं के शब्दमूळ अंगेनी जे कंई सामग्री प्राप्त थती होय ए एक वखत संकलित थई जाय तो एमां कई खोटुं नथी. मूळ संपादित ग्रंथो सिवायनां साधनोमांथी एवी सामग्री मळती होय तो एनेये, आ दृष्टिए, आमेज करवी जोईए.
आम, आ कोशमां शब्दना स्वरूप अने प्रयोग पर प्रकाश पाडनार व्युत्पत्तिनी के एवी सामग्री आपवामां संकोच राख्यो नथी. पण साथेसाथे डॉ. भायाणीनी प्रमाणभूतता माटेनी जिकरने अवगणी पण नथी. मूळ ग्रंथोमां के अन्यत्रथी प्राप्त व्युत्पत्तिओ पोताना मर्यादित ज्ञानथी पण संपादकने निराधार जणाई त्यां ए छोडी ज दीधी छे. ज्यां संपादकथी निर्णय थई शक्यो नथी त्यां फूदडी मूकी शंका दर्शावी छे. मूळ ग्रंथमांनी अने अन्यत्रथी प्राप्त के संपादके विचारेली एम बन्ने व्युत्पत्तिओ साथे मूकवानुं पण घणी वार बन्युं छे. संस्कृतनां कल्पित रूपो पण एना संकेत साथे साचवी लीधा छे - ए मान्य प्रणालिका होवाथी. उक्तिर.ना संस्कृत शब्दो तो व्युत्पत्तिनी दृष्टिए टकी शके तेम न होय त्यां पण, अर्थप्रकाशक होवाने कारणे साचवी लेवानुं बन्युं छे.
ए हकीकत ध्यानमा राखवानी छे के मध्यकालीन शब्दनी व्युत्पत्ति दर्शावती वखते ए ज विभक्तिरूप के क्रियापदरूप आपवानो आग्रह राख्यो नथी. शब्द- मूळ कोई पण रीते सूचवाय ए ज पर्याप्त लेख्युं छे.
ज्यां शब्दार्थ रूपे ज संस्कृतादि भाषानो मूळ शब्द आवी जतो होय त्यां पछी व्युत्पत्तिना विभागमा ए शब्द फरी बताववान राख्युं नथी, केमके आ कई व्युत्पत्तिकोश नथी ने अहीं तो गमे ते रीते मूळ शब्द दर्शावाय ते चाली शके.
थोडाक दाखलाओथी आ बधा मुद्दा समजीए :
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