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एक अपवाद कर्यो छे ते 'उक्तिरत्नाकर' नो. एमां वर्णानुक्रमिक शब्दसूचि छे ने स्थाननिर्देश प्रण छे पण अर्थ तो निर्दिष्ट स्थाने आपणे जोवानो रहे छे. आ ग्रंथनो अपवाद करवानुं कारण ए हतुं के ए मध्यकाळमां ज रचायेलो शब्दकोश छे अने तेथी मध्यकाळमां आ शब्दो कया अर्थमां वपराता हता तेनी प्रमाणभूत माहिती एमांथी मळे छे. एना आ रीतना महत्त्वने अनुलक्षीने, डॉ. भायाणीना सूचनथी, आ अपवाद कर्यो छे.
छेवटे, आ कोशमां पाछळ यादी आपी छे ते मुजब ६६ संपादित ग्रंथोना ७१ शब्दकोशों (चार ग्रंथोमां अलगअलग कृतिओना अलग शब्दकोशो आपेला छे) संकलित करेला छे. बे ग्रंथोनी बीजी आवृत्तिना शब्दकोशोने पण उपयोगमां लीधा छे. आ बधा शब्दकोशो एक दृष्टिथी तैयार थयेला न ज होय. ए ग्रंथोनो हवे पछी परिचय आयो छे ते मुजब केटलाक संपादकोए उदारताथी शब्दो लीधा छें - सामान्य उच्चारभेदवाळा शब्दो लीधा छे अने अत्यारे वपराशमां होय एवा थोडा शब्दो पण आववा दीधा छे, तो केटलाक संपादको शब्दपसंदगी चुस्त मध्यकालीनताना धोरणे करी छे अने सामान्य उच्चारभेदवाळा शब्दो टाळ्या छे. कोईए विभक्ति के काळ- अर्थना रूपभेदोने पण कोशमां दाखल थवा दीधा छे तो कोईए विभक्तिप्रत्ययो टाळ्या छे अने क्रियापदोनुं कोई एक ज रूप विध्यर्थ- कृदंतनुं रूप ('करवुं') के धातुरूप ('कर') - आपचानुं राख्युं छे. आनी पाछळनां प्रयोजनो जुदांजुदां पण रह्यां छे. अंग्रेजी भाषाना माध्यमथी ग्रंथो तैयार थया छे त्यां संपादकनी नजर सामे गुजराती भाषा न जाणतो होय एवो वर्ग पण होवाथी एमणे सर्वग्राही थवानी नेम राखी छे, तो बीजा केटलाके सहज उदारताथी, सर्वसंग्रहनी वृत्तिथी आम कर्तुं छे.
उपयोगमा लेवायेला ग्रंथोमां भले शब्दसामग्री परत्वे एकरूपता न होय, आ शब्दकोशना संपादके तो ए निपजाववी ज रहे. एम करवा जतां केटलाक कोयडाओ ऊभा थाय एनो सामनो पण करवो रह्यो अने घटतो उकेल शोधवो रह्यो .
एक नियम तरीके अहीं
(१) आजना शब्दथी साव सामान्य उच्चारभेद दर्शावता ने तेथी सहेलाईथी समजाई जता शब्दो छोडी देवामां आव्या छे. जेमके, अंत्य स्थाने 'ए' 'ओ' 'औ'ने बदले 'अइ' 'अउ' वाळा शब्दो ( अनइ, घोडउ), 'श'ने स्थाने 'स' वाळा शब्दो ( निरास, प्रकासुं), 'ळ'ने स्थाने 'ल'वाळा शब्दो ( उजलउं), संयुक्त व्यंजनना विश्लेषवाळा शब्दो (निरमले), 'ह' श्रुतिवाळा शब्दो ( अह्मारु) वगेरे.
आम छतां आवा एकथी वधु उच्चारभेदो एकसाथे होय के अन्य कोई शब्द साथे संभ्रम थवानी शक्यता होय के शब्द कंईक अपरिचित बनी जतो होय त्यां आवा शब्दो साचव्या पण छे.
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