Book Title: Lokprakash Part_1
Author(s): Vinayvijay
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 6
________________ ग्रन्थ % सूची. अंकः ग्रन्थनाम. मूलका टीकाकर्ता रचनाकाल मूल टीका. स्थान पण्यं श्लोक. पत्र. कालच मू.टीका. प्रति. विशेषः विषयः ॥१॥ २ श्रवणप्रतिक्रमणं गणधरः गुजराती. ॥ प्रे. मुंबई १९११ प.१५ प्र. ५०० साधुव्रतोंके अतिचारका प्रतिक्रमण ३ स्याद्वादभाषा शुभविजयगणिः शुभविजयगणिः (प्रमाणनयत- (हीरसूरिशिष्यः) स्वप्रकाशिका) I) ESSERE SIGARROS गुजराती- प्रेस मुंबई. १९११ प.१४ श्रीविजयसेनसूरिनिर्दे- तत्वप्रमाणनयविचार प्र. ५०० शात् गणधरः ४ पाक्षिकसूत्र- वृत्तिः वीरगणिश्रीचन्द्र- ११८. नि.सा.प्रे. 11 मू.*३०० प.७८ अणहिलपाटन यशोदेवः मुंबई टी.२७०० प्र. ५०० १९११ साधुमहाव्रत ओर श्रुत कीर्तन ॥१ ॥ * यह संख्या अनुमानसें हे. 5A5 - Jain Education For Private & Personel Use Only ainelibrary.org

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