Book Title: Lokprakash Part_1
Author(s): Vinayvijay
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 9
________________ १३ कर्मफिलॉसॉफी १४ आनन्दकाव्यमहोदधिः मौक्तिकं १ 33 39 " " Jain Educationonal भगुभाइ कारभारी शालिभद्ररास, जिन हंसशिष्यः मतिसारः कुसुमश्रीरास लावण्य विजयशिष्यनीति विजयशिष्यगंगविजयः अशोकचंदरोहिणी. १६७८ १७७० जैन प्रेस - 1) सुरत १९२३ आनन्दविमल० धरमसिंह जय० १७७२ कीर्त्ति० विनय० धीरविमलशिष्यनयविमलजी. ब्रह्मवादिन 1-2) मद्रास १९१३ प्रेमलालण्छी विजयानन्द० मुनिविजय० शिष्यः १६८९ दर्शनविजय रास. पृष्ठ. १६६ प्र.१००० प. ४६२ प्र.१००० For Private & Personal Use Only अंग्रेजी, अमेरिका चि कागो में दिया हुआ १८९३ में वीरचंद राघवजी गांधीका भाषण विजयदेव०प्रभ० रख० क्षमा०काले, मातर नगरे विजय प्रभु सम्मति से ज्ञानविमल आचार्यने सुरतबंदर सैतपुर (सुखसागरने ) लिखा अबरहानपुरका दलपुरमें. Adv.jainelibrary.org

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