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ग्रन्थ
अंकः ग्रन्थनाम. मूलक"
रचनाकाल
टीकाकर्ता
॥४॥
पत्र
मूल टीका स्थान पण्यं श्लोक
मुद्रण
- काल
विशेषः
विषयः
मूल टीका प्रति
" सुरसुन्दरीरास. नयसुन्दरजी.
प. ४३९ प्र.१०००
१६४६ अहमदा- ॥
बाद डायमंड जुधि
ली.
, नलदमयन्ती- मेघराज पार्श्वचन्द, समरचंद्र, १६६४ रास
रायचद्र , हरिबलमच्छी- जिनहर्ष (जिनचंद्रराज्ये) १७४६ रास.
२२ उपदेशरत्नाकरःमुनिसुन्दरसूरिः
)
७७५
नि.सा.प्रे.
मुंबई. १९१४
प. २३. प्र. ५००
देव, गुरु, धर्म, और
श्रावकादिका स्वरूप.
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