Book Title: Lokprakash Part_1 Author(s): Vinayvijay Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund View full book textPage 5
________________ श्रेष्ठि देवचंद लालभाई जैनपुस्तकोद्धारे अद्यावधि मुद्रितग्रन्थानां सूचिः । AUGALASSIANISSANCHISEG अंकः अन्धनाम. मूलकारीकाका रचनाकाल मण पत्र. श्लोक. : स्थानं पण्यं .. विशेषः विषयः मूल.टीका. कालश्च 'मू. टीका. प्रति. १ वीतरागस्तोत्रं श्रीहेमचंद्रसूरिः प्रभानन्दसूरिः मू. *२०० प. ८९ वीतरागकी स्तुति (अमय जिनव टी.२१०० लम. अभय. देव प्रभशिष्यः) , पञ्जिका श्रीसोमसुन्दर- १५१२ नि.सा.प्रे. टी. ६२५ प्र.५०० प्रथमादर्शः हर्षचन्द्रीयः शिष्यः विशालराजः १९११ * यह संख्या अनुमानसें हे. Jain Educatio n al For Private & Personel Use Only (A jainelibrary.orgPage Navigation
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