Book Title: Lok Prakash Part 02
Author(s): Vinayvijay, Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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दमास
(४) कपर्वसु ॥ इाष्टौ दिवसान् याव - दुत्सवं कुर्वते सुराः ॥ ॥ २८ ॥ तथोक्तं जीवा निगमसूत्रे - तहां बहवे नवएव वाणमंतरजोइसवेमालिया देवा चनुमासियां पाडिरुवसु सवहरिएस वा मेसु बहुसु जि जम्मण पिरकमण णाणुपत्ति परिणिवाणमा दिएसु देवकज्जेसु य या वत् पादितान महामहिमान कारेमाणा पालेमा पा सुहं सुहेणं विहरति ' तत्रापि नियतस्वस्व -स्थानेषु सुस्नायकाः || उत्सवान् सपरीवाराः । कुर्वेति नक्तिनासुराः ॥ २८ ॥ तथाद नंदीश्वरकल्पः -
देवो यहीं घ्यावीने या दिवसासुधी प्राइमहोत्सव करे वे. ॥ २८ ॥ तेमाटे जीवा निगमसूत्रमां कहां वे के
त्यां घणा जवनपति, वाणमंतर, ज्योतिषी तथा वै. मानिकदेवो चोमासी तथा संवत्सरीपर्वमां, तेमज जिनजन्म, जिनदीदा तथा जिननी ज्ञानोत्पत्ति ने जिनदीक्षायादिक बीजां घणां देवकार्योमां हीं नंदीश्वरी. पमा महोत्सव करताथका तथा पालताथका सुखे सुखे विचरे बे' वळी त्यां पण देवेंद्रो पोतपोताना निश्चित स्थानोमा परिवारसहित भक्तिथी भासुर थयायका महोत्सव करे. ||२८|| तेमाटे नंदीश् वरकल्पमां कहांने के

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