Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 04
Author(s): Girdhar Sharma, Parmeshwaranand Sharma
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 655
________________ ६५२] सिद्धान्तकौमुदीपरिशिष्टे श्यामक (श्यावलि ) श्यापर्ण हरित किंदास बयस्क अजूष ( अर्कलूष ) बध्योग विष्णुवृद्ध प्रतिबोध रचित (रथीतर ) रथन्तर गविष्ठिर निषाद ( शबर अलस) मठर ( मृडाकु ) सृपाकु मृदु पुनर्भू पुत्र दुहित ननान्ह । परस्त्री परशुं च । इति बिदादिः ।। ५६ ॥ ११०७ गर्गादिभ्यो यञ् । (४-१-१०५) गर्ग वत्स । वाजासे । संकृति अज व्याघ्रपात् विदमृत् प्राचीनयोग ( अगस्ति ) पुलस्ति चमस रेभ अग्निवेश शङ्ख शट शक एक धूम अवट मनस् धनंजय वृक्ष विश्वावसु जरमाण लोहित शंसित बभ्र वल्गु मण्डु शङ्कु लिगु गुहलु भन्तु मनु अलिगु जिगीषु मनु तन्तु मनायीसूनु कथक कन्थक ऋक्ष तृक्ष (वृक्ष ) [ तनु ] तरुक्ष तलुक्ष तण्ड वतण्ड कपिकत ( कपि कत) कुरुकत अनड्डह् कण्व शकल गोकक्ष अगस्त्य कण्डिनी यज्ञवल्क पर्णवल्क अभयजात विरोहित वृषगण रहूगण शण्डिल वर्णक ( चणक ) चुलुक मुद्गल मुसल जमदग्नि पराशर जतूकर्ण (जातूकर्ण) महित मन्त्रित अश्मरथ शर्कराक्ष पुतिमाष स्थूरा अदरक ( अररक ) एलाक पिङ्गल कृष्ण गोलन्द उलूक तितिक्ष भिषज (भिषज् ) [ मिष्णज] भडित भण्डित दल्भ चेकित चिकित्सित देवहू इन्द्रहू एकलु पिप्पलु बृहदमि [ सुलोहिन् ] सुलाभिन् उक्थ कुटीगु । इति गर्गादिः ॥५७ ॥ १११३ अश्वादिभ्यः फञ् । (४-१-११०) अश्व अश्मन् शङ्ख शूदक विद पुट रोहिण खजूर (खजूर )[ खजार वस्त ] पिजूर भडिल भण्डिल भडित भण्डित [प्रकृत रामोद ] क्षान्त [काश तीक्ष्ण गोलाङ्क अके स्वर स्फुट चक्र श्रविष्ठ ] पविन्द पवित्र गोमिन् श्याम धूम धूम्र वाग्मिन् विश्वानर कुट शप पात्रये । जन जड खड ग्रीष्म श्रह कित विशंप विशाल गिरि चपल चुप दासक वैल्य (बैल्व ) प्राच्य [धर्म्य ] श्रानडुह्य । पुंसि जाते। अर्जुन [ प्रहृत ] सुमनस् दुर्मनस् मन (मनन )[प्रान्त ] ध्वन । आत्रेय भरद्वाजे। भरद्वाज आत्रेय । उत्स आतव कितव [ वद धन्य पाद ] शिव खदिर । इत्यश्वादिः॥५८॥ १११५ शिवादिभ्योऽण् । (४-१-११२) शिव प्रोष्ठ प्रोष्ठिक चण्ड जम्भ भूरि दण्ड कुठार ककुभ् ( ककुभा) अनभिम्लान कोहित सुख संधि मुनि ककुत्स्थ कहोड कोहड कहूय कहय रोद कपिजल ( कुपिजल ) खञ्जन वतण्ड तृणकर्ण क्षीरहद जलहद परिल (पथिक ) पिष्ट हैहय [ पार्षिका ] गोपिका कपिलिका जटिलिका बधिरिका मञ्जीरक मजिरक वृष्णिक खजार खञ्जाल [ कार ] रेख लेख आलेखन विश्रवण रवण वर्तनाक्ष प्रीवाक्ष (पिटक विटप ) पिटाक

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