Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 04
Author(s): Girdhar Sharma, Parmeshwaranand Sharma
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 716
________________ बृहद् अनुवादचन्द्रिका ले० श्रीचक्रधर नौटियाल 'हंस', एम. ए., एल. टी. 'अनुवादचन्द्रिका' के यशस्वी लेखक श्रीचक्रधर नौटियाल 'हंस' शास्त्री जी ने वस्तुतः उस अभाव की पूर्ति की है जिसका अनुभव संस्कृत-प्रेमी वर्षों से कर रहे थे। अनुवादचन्द्रिका में सुपाठ्य सामग्री का सम्पादन एवं संकलन निःसन्देह अतीव रोचक ढंग से किया गया था, किन्तु प्रौढ़ छात्रों एवं उच्च कक्षाओं के छात्रों की आवश्यकता पूर्ति उससे नहीं हो पाती थी। उस अभाव की पूर्ति 'बृहद् अनुवादचन्द्रिका' ने की है। बृहद् अनुवादचन्द्रिका में व्याकरण के नियमों का आधार पाणिनीय सूत्रों पर रखा गया है और उपयुक्त व्याकरण जैसे --सन्धि-कारक-समास-क्रिया, कृदन्ततद्धित-स्त्रीप्रत्यय प्रकरणों के अतिरिक्त उसमें संस्कृत के मुहावरे, लोकोक्तियाँ, पत्र-लेखन-प्रकार, संस्कृत व्यावहारिक शब्द-संग्रह, वत्त-परिचय, अशुद्धिप्रदर्शन, संस्कृत परीक्षाओं के अनुवादसम्बन्धी प्रश्न-पत्र और निबन्ध-रत्नमाला का समावेश किया गया है। इन विषयों के अतिरिक्त इसमें लगभग 125 शब्दों के सातों विभक्तियों के रूप, 200 धातुओं के दसों लकारों के रूप तथा 500 धातुओं के संक्षिप्त रूप दिये गये हैं / साथ ही साथ सोपसर्ग धातुओं के उदाहरण महाकवियों की सुप्रसिद्ध रचनाओं से उद्धत किये गये हैं। अनुवादार्थ गद्य-पद्य संग्रह में महाकवियों की अमर रचनाओं से उद्धरण दिये गये हैं, जिनके पारायण से सहृदय उन कवियों की कविताओं के रसास्वादन का आनन्द भी ले सकते हैं। इस प्रकार पुस्तक को परमोपयोगी बनाने का भरसक प्रयत्न किया गया है। पुस्तक की एक और विशेषता यह है कि इसमें व्याकरण तथा अनुवाद की प्रारम्भिक शृखला टूटने नहीं पाई है / इससे अल्प ज्ञान वाले तथा प्रौढ़ ज्ञान वाले दोनों ही प्रकार के छात्र लाभान्वित हो सकते हैं। एक ओर इससे विद्यालयीन, उच्चतर माध्यमिक एवं महाविद्यालयीन त्रिवर्षीय परीक्षा के तथा प्राज्ञ, प्रथमा आदि कक्षाओं के छात्र लाभ उठा सकते हैं, तो दूसरी ओर एम. ए., शास्त्री तथा आचार्य आदि कक्षाओं के छात्र भी लाभ उठा सकते हैं। अनुवाद के अभ्यासार्थ प्रदेशों के विभिन्न शिक्षा-संस्थानों-हाई स्कूल बोर्ड, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं-- के प्रश्न-पत्र भी सहायक टिप्पणियों के साथ दिये गये हैं और पुस्तक के अन्त में निबन्धरत्नमाला में उच्च कक्षाओं के लिए परमोपयोगी विषयों पर 16 निबन्ध दिये गये हैं। मूल्य : रु० 22 मोतीलाल बनारसीदास दिल्ली :: वाराणसी :: पटना

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