Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 04
Author(s): Girdhar Sharma, Parmeshwaranand Sharma
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 668
________________ गणपाठः । [ ६६५ वर्णक दोह दोह सुख दुःख उत्कण्ठा भर व्याधि वर्मन् व्रण गौरव शास्त्र तरस तिलक चन्द्रक अन्धकार गर्व कुमुर ( मुकुर ) हर्ष उत्कर्ष रण कुवलय गर्ध शुध सीमन्त ज्वर गर रोग रोमाञ्च पण्डा कज्जल तृष् कोरक कल्लोल स्ययुट फल कचुक शृङ्गार अकुर शैवल बकुल श्वभ्र पाराल कला कर्दम कन्दल मूर्छा प्रहार हस्तक प्रतिबिम्ब विघ्नतन्त्र प्रत्यय दीक्षा गर्न । गर्भादप्राणिनि । इति तारकादिराकृतिगणः॥१७० ॥ १८६१ विमुक्तादिभ्योऽण । (५-२-६१) विमुक्त देवासुर रक्षो. सुर उपसद् सुवर्ण परिसारक सदसत् वसु मरुत् पत्नीवत् वसुमत् महीयस् सत्वत् बर्हवत् दशार्ण दशाह वयस् हविर्धान पतत्रिन् महित्री अस्यहत्य सोमापूषन् इला अनाविष्णू उर्वशी वृत्रहन् । इति विमुक्तादिः॥१७॥ १८६२ गोषदादिभ्यो वुन् (५-२-६२) गोषद ( गोषद् ) इषेत्वा मातरिश्वन् देवस्यत्वा देवीरापः । कृष्णोऽस्याखरेष्ठः देवींधिया (देवींधिय ) रक्षोहण युञ्जान अञ्जन प्रसूत प्रभूत प्रतूर्त कृशानु (कृशाकु) । इति गोषदादिः ॥१७२।। १८६४ आकर्षादिभ्यः कन् । (५-२-६४) आकर्ष (प्राकष) त्सरु पिशाच पिचण्ड अशनि अश्मन निचय चय विजय जय आचय नय पाद दीपहृद हाद हाद गद्गद शकुनि । इत्याकर्षादिः ॥१७३॥ १८८८ इष्टादिभ्यश्च । (५-२-८८) इष्ट पूर्त उपासादित निगदित परिगदित परिवादित निकथित निषादित निपठित सकलित परिकलित संरक्षित परिरक्षित अर्चित गणित अवकीर्ण आयुक्त गृहीत धानात श्रुत अधीत अवधान आसवित अवधारित अवकल्पित निराकृत उपकृत उपाकृत अनुयुक्त अनुगणित अनुपठित व्याकुलित । इतीष्टादिः ॥ १७४॥ १८६५ रसादिभ्यश्च । (५-२-६५) रस रूप वणं गन्ध स्पर्श शब्द स्नेह भाव । गुणात् एकाचः । इति रसादिः ॥ १७५ ॥ १६०४ सिध्मादिभ्यश्च। (५-२-६७) सिध्म गड मणि नाभि बीज वीणा कृष्ण निष्पाव पासु पार्श्व पशु हनु सक्तु मास ( मांस) पाणिधमन्योदीर्घश्च । वातदन्तबलललाटानामूङ् च । जटाघटाकटाकाला क्षेपे । पर्ण उदक प्रजा सक्थि कर्ण स्नेह शीत श्याम पिङ्ग पित्त पुष्क पृथु मृदु मम्जु मण्ड पत्र चटु कपि गण्डु प्रन्थि श्री कुश धारा वर्मन् पक्ष्मन् श्लेष्मन् पेश निष्पाद् कुण्ड । क्षुदजन्तूपतापयोश्च । इति सिध्मादिः॥ १७६ ॥ १९०७ लोमांदिपोमादिपिच्छादिभ्यः शनेलचः। (५-२-१००) लोमन् रोमन बभ्रु हरि गिरि ककै कपि मुनि तरु । इति लोमादिः ॥ १७७ ।।

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