Book Title: Laghu Kshetra Samsas Granth
Author(s): Charitrashreeji
Publisher: Kumudchandra Jesingbhai Vora

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Page 486
________________ શ્રી લઘુક્ષેત્રસમાસ પ્રકરણમ पखित्तमहनईओ, सदारदिसि दहविसुद्धगिरिअद्धं । गंतूण सजिम्भीहिं, निअनिअकुंडेसु निवडंति ॥८॥ निअजिम्भिाषिकुलत्ता, पणवीसंसेण मुन्तु मज्झगिरि । जाममुहा पुवुदहि, इअरा, अवरोअहिमुविति ।।५९॥ हेमवह रोहिअंसा रोहिआ गंगदुगुणपरिवारा । एरन्नवर सुवन्त रुपकूलाओ ताण समा ॥६०॥ हरिवासे हरिकंता, हरिसलिला गंगचउगुणनईआ। एलि समा रम्मयए, नरकंता नारिकता य ॥६१॥ सीओआ सीआओ, महाविदेहम्मि तासु पत्तेयं । निवडइ पालक्ख, दुतीससहस अडतीस नइसलिलं ॥२॥ कुरुनइ चुलसीसहसा, छच्चेवंतरनईओ पइविजयं । दो दो महानईओ, चउदसहस्सा उ पत्तयं ॥३॥ अडसयरि महनईओ, बारस अंतरनईउ सेसाओ । परिअरनई चउद्द-सलक्खा छप्पन्नसहसा य ॥६४॥ एगारडनवकूडा, कुलगिरिजुअलत्तिगे वि पत्तों । इइ छप्पन्ना चउ चउ, वक्खारेसु त्ति चउसट्ठी ॥६५॥ सोमणसि गंधमायणि, सग सग विज्जुप्पभि मालवंति पुणो । अट्ठ सयल तीस, अडनंदणि अट्ठ करिकूडा ॥६६॥ इस पणसयउच्च छासहि-सय कुडा तेसु दीहरगिरीणं । पुष्यबइमेलदिसि अंतसिद्धकूडेसु जिणभवणा ॥६॥

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