Book Title: Laghu Kshetra Samsas Granth
Author(s): Charitrashreeji
Publisher: Kumudchandra Jesingbhai Vora

View full book text
Previous | Next

Page 496
________________ શ્રી લક્ષેત્રસમાસપ્રકરણમ २५ २६ २८ ary सुवो य महा-वप्पोवपावई यि । ०६ २७ ૨૯ वग्गू तहा सुवग्गू य, गंधिलो गंधिलाई ॥ १५७ ॥ er पुव्वावर य-विअड्ढदलिय त्ति नइदिसि दलेसु । भरद्वपुरिसमाओ, इमेहि नामेहि नयरीओ ।। १५८ ।। खेमा खेमपुरा वि अ, अरिट्ठ रिट्ठावई य नायव्वा । खग्गी मंजूसा वि य, ओसहिपुरि पुंडरिगिणी य ।। १५९ ।। ८. ૧૧ ૧૨ सुसीमा कुंडला चेव, अवराय पकरा । १३ ૧૪ ૧૫ ૧૬ अंकावर पहावर, सुभा रयणसंचया ॥ १६० ॥ १७ १८ ૧૯ २० आसपुरा सीहपुरा, महापुरा चेव हवइ विजयपुरा । ૨૩ ૨૧ २२ २४ अवराया य अवरा, असोगा तह वीयसोगा य ॥ १६१ ॥ ૨૫ विजया य वेजयति जयति अपराजिया य बोधन्वा । २७ 30 ३१ ३२ चकपुरा खरगपुरा, होइ अवज्झा अउज्झाय ॥ १६२ ॥ कुंडुभवा उगंगा-सिंधूओ कच्छपम्पमुहे । असु विजri सेसेसु य रत रत्तवई ॥ १६३ ॥ अविवक्खिऊण जगई, सवेवणमुहचक्कपित्तं । २८०० गुणतीससय दुवीसा, नईति गिरिअंति एगकला ॥ १६४ ॥ पणति ससहस चउसय, छडुत्तरा सयलविजयविक्खंभो । वणमुहदुगविक्खंभो, अडवन्नसया य चोयाला ॥ १६५ ॥ सगसय पन्नासा नह - पिहुत्ति चउवन्नसहस मेरुवणे । गिरिवित्थरि च सहसा, सव्वसमासो हवइ लक्खं ॥ १६६ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510